Birth Anniversary of Subash chandra Bose : नेता जी ने कैंब्रिज यूनिर्वसिटी से प्रयागराज में अपने सहपाठी को भेजा था पत्र, जानिए क्या लिखा था

\अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस अपने साथियों को मौका मिलने पर पत्र लिखते थे। पत्र के माध्यम से उनका हालचाल पूछते और अपने मन की बात भी लिखते। देश के बड़े नेताओं को उनके द्वारा लिखे गए पत्र आज भी संग्रहालयों में सुरक्षित हैं।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 06:00 AM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 06:00 AM (IST)
Birth Anniversary of Subash chandra Bose :  नेता जी ने कैंब्रिज यूनिर्वसिटी से प्रयागराज में अपने सहपाठी को भेजा था पत्र, जानिए क्या लिखा था
देश के बड़े नेताओं को उनके द्वारा लिखे गए पत्र आज भी संग्रहालयों में सुरक्षित हैं।

प्रयागराज, जेएनएन। अंग्रेजी हुकूमत की नींव हिला देने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस अपने साथियों को मौका मिलने पर पत्र भी लिखते रहते थे। पत्र के माध्यम से उनका हालचाल पूछते और अपने मन की बात भी लिखते। देश के बड़े नेताओं को उनके द्वारा लिखे गए पत्र आज भी संग्रहालयों में सुरक्षित हैं। स्कूली दिनों के उनके एक साथी क्षेत्रेश चंद्र चट्टोपाध्याय इलाहाबाद (अब प्रयागराज) उच्च शिक्षा के लिए आ गए थे। नेताजी इस सहपाठी को अकसर पत्र लिखते थे। वर्ष 1920 में कैंब्रिज से एक पत्र में उन्होंने लिखा था कि मैं यहां इसलिए नहीं आया हूं कि पढ़ाई करनी है। यह पढ़ाई मैं भारत में भी कर सकता था। यहां इसलिए आया हूं कि मेरी आंख खुल जाए कि विश्व में भारत की क्या स्थिति है। 23 जनवरी को 125 वीं जन्मतिथि पर नेता जी को प्रयागराज में याद किया जा रहा है। 

बांग्ला भाषा में लिखे थे सारे पत्र

नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने अपने सहपाठी क्षेत्रेश चंद्र चट्टोपाध्याय को सभी पत्र बांग्ला भाषा में लिखे थे। अधिकांश पत्र उन्होंने 1920 और उसके बाद कैंब्रिज से लिखे थे। चट्टोपाध्याय के बेटे प्रो.महेश चंद्र चट्टोपाध्याय इलाहाबाद विश्वविद्यालय के रसायनशास्त्र विभाग के अध्यक्ष रहे हैं। वह बताते हैं कि नेताजी ने उनके पिता को लिखे एक पत्र में गांधी जी के सत्याग्रह आंदोलन का समर्थन किया था। नेताजी के बड़े भाई उस दौरान फ्रांस में थे। अपने बड़े भाई की टिप्पणी का उल्लेख करते हुए बोस ने लिखा कि बड़े भाई ने उन्हें बताया है कि फ्रांस में भी गांधीजी की काफी तारीफ हो रही है। इंग्लैंड में भी लोग गांधी की बहुत प्रशंसा करते हैं। प्रो.चट्टोपाध्याय बताते हैं कि सुभाष चंद्र बोस ने एक पत्र कलकत्ता से भी लिखा था। इस पत्र मेंं उन्होंने लिखा कि विवेकानंद और उनके अनुयायियों ने भारत के लिए बहुत कुछ किया है। उसका शतांश भी हम कर सके तो अपने को धन्य समझेंगे।  

बहुत उदार थे नेताजी

प्रो.चट्टोपाध्याय बताते हैं कि उनके पिताजी का नेताजी सुभाष चंद्र बोस से काफी याराना था। प्रेसीडेंसी कालेज में वे दोनों साथ पढ़ते थे। नेताजी क्लास में हमेशा अव्वल आते थे। उनके पिता नेताजी की उदारता के कई किस्से बताते थे। 1919 में कलकत्ता में बहुत ठंड पड़ी थी। तब नेताजी और उनके पिताजी मैट्रिक क्लास में थे। क्लास में पढ़ाई के दौरान एक साथी क्लास में ठंड से कांप रहा था। नेताजी उसे अपना स्वेटर देना चाह रहे थे। फिर उनके मन में ख्याल आया कि सीधे स्वेटर देने पर वह साथी अपनी गरीबी को लेकर अपमानित महसूस करेगा। ऐसे मे उन्होंने मेरे पिताजी क्षेत्रेश चंद्र चट्टोपाध्याय से कहा कि वह इस स्वेटर को उस साथी को यह कहते हुए दें कि उसके क्लास में अच्छे नंबर आए हैं ऐसे में सभी साथी उसे मिलकर यह ईनाम में दे रहे हैं। क्षेत्रेश चंद्र चट्टोपाध्याय संस्कृत में और पढ़ाई के लिए कुछ साल वाराणसी में भी रहे। नेताजी उनको वाराणसी भी पत्र लिखकर भेजते रहे।

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