मरीज के बेड पर घरेलू पंचायत, बिना मास्क ले जा रहे बच्चे, प्रयागराज के काल्विन अस्पताल में दिखी यह लापरवाही
वार्ड में मरीजों की बेड पर उनके स्वजन बैठकर संक्रमण को आमंत्रण दे रहे हैं इतना ही नहीं घर से आए लोग बच्चों को भी साथ ले जा रहे हैं बच्चों को बिना मास्क लगवाए ही अस्पताल ले जाया जा रहा है। वार्ड में इन बच्चों की धमाचौकड़ी है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। कोरोना से बचाव की सरकारी कवायद और तीसरी लहर से बच्चों पर खतरे की चेतावनी अस्पतालों में ही ठेंगे पर है। शहर की घनी आबादी के बीच स्थित मोतीलाल नेहरू मंडलीय चिकित्सालय यानी काल्विन अस्पताल के वार्ड में बिना मास्क पहने बच्चे दौड़ लगा रहे हैं। मरीजों के बेड घरेलू पंचायत का ठिकाना हैं। ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि कोरोना की तीसरी लहर के इस तरह से बुलावे पर किसी को ऐतराज भी नहीं। खुद अस्पताल प्रशासन मूक दर्शक है और इस पर रोकथाम की कोई नीति नहीं बन सकी है।
रोकथाम की बजाए अस्पताल प्रशासन बना है तमाशबीन
काल्विन अस्पताल के पीआइसीयू वार्ड, महिला वार्ड और सर्जिकल वार्ड में इन दिनों दो दर्जन से अधिक मरीज भर्ती हैं। कोविड-19 के चलते अस्पतालों में नियम बनाए गए हैं कि एक मरीज के साथ एक ही तीमारदार रहेंगे, उन्हें भी मास्क लगाने समेत बचाव के सभी नियमों का पालन करना होगा। लेकिन, वार्ड में स्थिति इसके एकदम उलट है। वार्ड में मरीजों की बेड पर उनके स्वजन बेहिचक बैठ कर संक्रमण को आमंत्रण दे रहे हैं, इतना ही नहीं घर से आए लोग अपने बच्चों को भी साथ ले जा रहे हैं, बच्चों को बिना मास्क लगवाए ही अस्पताल ले जाया जा रहा है। वार्ड में इन बच्चों की धमाचौकड़ी है। किसी प्रकार की रोकटोक न होने से इन मासूमों पर भी कोरोना का खतरा है।
अभिभावकों को भी सजग रहना होगा
दूसरी ओर कई लोग अपनी बीमारी का इलाज कराने जाते समय बच्चों को भी साथ लेकर जा रहे हैं। इन बच्चों के भी मुंह नाक पर मास्क नहीं लगा रहता। यह स्थिति तब है जब अस्पताल परिसर में कई प्वाइंट पर सीसीटीवी कैमरे सक्रिय हैं और हर एक स्थान का विजुअल प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय में आनस्क्रीन है।
अस्पताल में इस स्थिति पर प्रमुख चिकित्साधीक्षक डा. सुषमा श्रीवास्तव कहती हैं कि कुछ समय के अंतराल में राउंड करके वे खुद ऐसे लोगों को सचेत करती हैं। वार्ड में हर समय नहीं रहा जा सकता, अभिभावकों को भी सजग रहना होगा क्योंकि कोरोना की तीसरी लहर की आशंका प्रबल है और बच्चों को इससे सुरक्षित रखना है।