नीलकंठ गंगा परिक्रमा पूरी, प्रयागराज लौटकर साझा किया 6600 किमी पदयात्रा का अनुभव
पदयात्री रिटायर कर्नल आरपी पांडेय हीरेन भाई पटेल और रोहित उमराव ने अपने अनुभव साझा किए। गंगा की परिक्रमा में उन्हें करीब 66 सौ किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ी। यह यात्रा उन्होंने 222 दिन में पूरी की। तमाम शहर गांव और जंगलों से होते हुए वह गुजरे हैं।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। गंगा के उद्गम से समुद्र में समागम होने तक दोनों किनारों (नीलकंठ गंगा परिक्रमा) की पैदल यात्रा का रविवार को संगम तट पर विधिवत समापन हो गया। समापन के मौके पर पदयात्री रिटायर कर्नल आरपी पांडेय, हीरेन भाई पटेल और रोहित उमराव ने अपने अनुभव साझा किए। गंगा की परिक्रमा में उन्हें करीब 66 सौ किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ी। यह यात्रा उन्होंने 222 दिन में पूरी की है। यात्रा बहुत ही रोमांचक रही है। तमाम शहर, गांव और जंगलों से होते हुए वह गुजरे हैं। इन पद यात्रियों ने बताया कि शहरों के निकट गंगा अधिक प्रदूषित है जबकि गांवों के सामने स्थिति ठीक है।
लेटे हनुमान मंदिर के पास पद यात्रियों का जोरदार स्वागत
यात्रा के समापन अवसर पर संगम क्षेत्र में लेटे हनुमान मंदिर के पास पदयात्रियों का जोरदार स्वागत हुआ। पदयात्रियों को एनसीसी के कैडेट की टीम ने सलामी दी। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गंगा समग्र समिति के राष्ट्रीय संगठन मंत्री रामाशीष ने कहा कि गंगा एक नदी नहीं हम सब का अस्तित्व भी इसी से है। अगर इनका प्रवाह अविरल और निर्मल तरीके से नहीं होगा तो हमारा जीवन भी मुश्किल में पड़ जाएगा। पानी ही जिंदगी है, नदी, तालाब सहित अन्य जल स्रोतों को बचाना हम सभी का परम कर्तव्य है। हम सभी को पर्यावरण सुरक्षा के लिए अपने-अपने जन्मदिन पर एक पेड़ अवश्य लगाना चाहिए। पदयात्री रिटायर कर्नल आरपी पांडेय, हीरेन भाई पटेल और रोहित उमराव ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि गंगा के स्वरूप से छेड़छाड़ न किया जाय। शहरी जल-मल और फैक्ट्रियों से निकला गंदा पानी ज्यादा खतरनाक है, उसे रोका जाय। इस दौरान उन्होंने अपनी यात्रा का वीडियो भी दिखाया। इस मौके पर एनसीसी के ग्रुप कमांडर ब्रिगेडियर केपी कृष्णा कुमार, कर्नल पीपी शर्मा, लेफ्टिनेंट कर्नल एके सिन्हा, मेजर जनरल असवाल, अनामिका चौधरी, मिलिंद मनस्वी ने विचार रखे। संचालन गरिमा पांडे ने किया।