Navratri 2020 : महिला रचनाकारों ने प्रयागराज में ऑनलाइन बहाई देवी भक्ति की बयार

Navratri 2020 मां दुर्गा की आराधना कविताओं व गीतों के जरिए प्रयागराज में की गई। ऑनलाइन आयोजन में देश ही नहीं विदेश की महिला रचनाकारों ने भी हिस्सा लिया। इस आयोजन का संयुक्त संचालन रुचि मटरेजा एवं चेतना सिंह ने किया।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 21 Oct 2020 06:09 PM (IST) Updated:Wed, 21 Oct 2020 06:09 PM (IST)
Navratri 2020 : महिला रचनाकारों ने प्रयागराज में ऑनलाइन बहाई देवी भक्ति की बयार
प्रयागराज में ऑनलाइन देवी गीतों की प्रस्‍तुति की गई।

प्रयागराज, जेएनएन। राष्ट्रीय महिला रचनाकार मंच के तत्वावधान में नवरात्रि पर महिला रचनाकारों ने ऑनलाइन भक्ति की बयार बहाई। रचना सक्सेना के संयोजन और अधिवक्ता ऋतंधरा मिश्रा की अध्यक्षता में विशेष कवि सम्मेलन ऑनलाइन आयोजित किया गया। उन्होंने बताया कि 25 अक्टूबर तक कार्यक्रम की श्रृंखला चलती रहेगी।    

गीतों के जरिए मां भवानी की आराधना

कवि सम्मेलन को आगे बढ़ाते हुए मां दुर्गा की आराधना कविताओं व गीतों के जरिए की गई। इसमे देश ही नहीं विदेश की महिला रचनाकारों ने भी हिस्सा लिया। इस आयोजन का संयुक्त संचालन रुचि मटरेजा एवं चेतना सिंह ने किया। इस अवसर पर दमोह से कुसुम खरे ने अपनी रचना पढ़ी। कहा, सिंह पर  होकर सवार महारानी आ गई भक्तों के द्वार..। मां के दर्शन के लिए आतुर आरा बिहार से अनामिका अमिताभ गौरव ने पढ़ा, विद्यादायिनी इतनी देर कहां लागी, द्वार पर खड़ा है अज्ञानी। नई दिल्ली से स्नेहा उपाध्याय ने मां से यूं की याचना,  मां आई मन के द्वार करो उद्धार।

माता रानी का किया बखान

माता रानी के रूप सौंदर्य का गान करते हुए प्रयागराज से संतोष मिश्रा दामिनी ने कहा सुमन  रूपन की बलिहारी, मां के आगमन से घर में खुशियां छाई। निशा अतुल माता का आशीष पाने के लिए  विधि विधान से अर्चना करते हुए कहती हैं... कृपा तुम्हारी सद्विचार रहे हमारा, सदा आशीष दो मां! प्रयागराज से मीरा सिन्हा कुछ यूं मां की महिला बखानी, मत करो भीड़ दरबार में कि संकरा है द्वार। भोपाल से मीना जैन दुष्यंत बोलीं-मां तेरी शरण में आकर जीवन का सुख पाया।

अंबे जगदंबे मेरे घर आओ...

मुरादाबाद से डॉ. रेखा सक्सेना कहा कि नवरात्रि का पावन पर्व वंदना करूं मैं बारंबार। मां का आह्वान करते हुए प्रेमा राय ने भाव विभोर होकर गान करते हुए कहा, अंबे जगदंबे मेरे घर आओ...। प्रयागराज से नीलम मोहन ने बोला ब्रह्मचारिणी रूप तुम्हारा पावन मंदिर  कर जाना। रेनू मिश्रा ने कहा मां अंबे तुम आ जाओ तेरे भक्तों से बुलाते हैं। दिल्ली से सरला सिंह स्निग्धा कहती हैं मैया जी के पैरों पायल सोहे।

मैया मेरी महान...हम उनकी संतान

 गाजियाबाद से डॉ. नीरजा मेहता ने कहा- सिंह पर सवार आई, प्रेम की फुहार लाई। महाराष्ट्र से श्रृंखला शुक्ला कहती हैं मैया मेरी महान..... हम सभी हैं उसकी संतान। प्रयागराज से इंदु सिन्हा ने कहा, तुम अभी न जग का हर कोना सूना मां। प्रयागराज से चेतना चितेरी लिखती हैं-मेरी मैया की महिमा अपरंपार ... कैसे करूं मैं उनका गान,  दे दो! मुझे  शब्दों का भंडार। प्रयागराज से रचना सक्सेना कहती है-मैया तेरा रूप लगे  है सुहाना... मंदिर को सजाया घर पर आना। बहराइच से रुचि मटरेजा लिखती हैं, हाथों में करमंडल तेरे अधरों पर मधुर मुस्कान है। मध्य प्रदेश से नवनीता दुबे कहती हैं - आओ मां जगदंबे.. मेरे द्वारा सजा है वंदनवार..आदि सुंदर सुंदर  स्वरचित देवी गीतो की प्रस्तुति देकर आयोजन में चार चांद लगा दिये।

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