Navratri 2020 : प्रयागराज के ज्योतिर्विदों का दावा, निराशा भरे माहौल में मां दुर्गा जाग्रत करेंगी आशा

Navratri 2020 शारदीय नवरात्र 17 अक्टूबर से आरंभ होगा। प्रयागराज के ज्योतिर्विदों काे कष्‍टों से लोगों को मुक्ति मिलने की उम्‍मीद है। उनका दावा है कि कोरोना वायरस संक्रमण के कारण फैली निराशा भरे माहौल में मां दुर्गा एक नई आशा लेकर आएंगी।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 25 Sep 2020 03:13 PM (IST) Updated:Fri, 25 Sep 2020 04:56 PM (IST)
Navratri 2020 : प्रयागराज के ज्योतिर्विदों का दावा, निराशा भरे माहौल में मां दुर्गा जाग्रत करेंगी आशा
शारदीय नवरात्र 2020 17 अक्‍टूबर से आरंभ हो रहा है।

प्रयागराज, जेएनएन। शारदीय नवरात्र पर शक्तिस्वरूपा अश्व पर सवार होकर आएंगी। इस आगमन के जरिए मइया निराशा भरे माहौल में में आशा जाग्रत करेंगी। चीन-पाकिस्तान से युद्ध होने की दशा में भारत को विजय मिलेगी। कोरोना जैसी बीमारी पर काबू पाने में जल्द सफलता मिलेगी। यह मत है श्रीधर्मज्ञानोपदेश संस्कृत महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी का। वे बताते हैं नवरात्र पूरे नौ दिनों की रहेगी। यांत्रिक उपकरणों का संचालन अश्वशक्ति आधारित है। ऐसे में मइया के अश्व पर आने से तकनीकी विकास होगा।  

17 अक्टूबर को नवरात्र का होगा आरंभ

आचार्य देवेंद्र बताते हैं कि मौजूदा समय प्रमादी नामक संवत्सर चल रहा है। संवत्सर के राजा बुध व मंत्री चंद्रमा हैं। बुध ज्ञान तथा चंद्रमा आरोग्यता-सौंदर्य के प्रतीक हैं। जबकि शनिवार 17 अक्टूबर को नवरात्र के आरंभ पर चित्रा नक्षत्र, विषकुंभ योग, किंस्तुघ्न करण, धनु राशि में शनि व वृहस्पति का संचरण होगा। शनि न्याय के प्रतीक हैं। वहीं, बृहस्पति बुद्धि, सद्भाव के संवाहक हैं। मां अश्व पर सवार होकर पधार रही हैं, उसका प्रभाव छह माह तक रहेगा। इससे यांत्रिक दृष्टि से भारत सशक्त होकर उभरेगा। विदेशी शक्तियां परास्त होंगी। अन्यायियों के चेहरे बेनकाब होंगे। कोरोना का प्रभाव कम होगा। दिसंबर-जनवरी तक उसकी वैक्सीन आ सकती है।

ग्रह-नक्षत्रों पर आधारित है सिद्धांत : डॉ. बिपिन

विश्व पुरोहित परिषद के अध्यक्ष डॉ. बिपिन पांडेय बताते हैं कि ग्रह-नक्षत्रों पर आधारित है प्रकृति व खगोल का सिद्धांत। महीनों का हिसाब सूर्य व चंद्रमा की चाल पर होता है। एक माह को दो भागों कृष्णपक्ष व शुक्लपक्ष में बांटा गया है। जबकि दिन का नामकरण आकाश में ग्रहों की स्थिति सूर्य से प्रारम्भ होकर क्रमश: मंगल, बुध, वृहस्पति, शुक्र, शनि और चंद्र से हुआ। दुनिया के महान गणितज्ञ भास्कराचार्य ने सूर्योदय से सूर्यास्त तक दिन, महीना व वर्ष की गणना करके पंचांग की रचना की थी। यही कारण है कि नवरात्र में मां भगवती जिस पर सवार होकर आती हैं ग्रहीय दृष्टि से उसका राष्ट्र पर व्यापक प्रभाव पड़ता है।

मां दुर्गा का वाहन व उसका प्रभाव

-सोमवार व रविवार को : गज (हाथी) पर सवार होकर आती हैं। इससे राज वैभव, सम्पत्ति व वर्षा अधिक होती है।

-मंगलवार व शनिवार को : अश्व (घोड़ा) पर आती हैं। यांत्रिक क्षेत्र में उपलब्धि मिलती है।

-बुधवार को : नौका (नाव) में सवार होकर आती हैं। मनोरथ सिद्ध होते हैं।

-गुरुवार व शुक्रवार को : डोला में आती हैं। अन्न की अच्छी पैदावार होती है।

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