Narendra Giri Successor: महंत के नए उत्तराधिकारी के सामने होगी अरबों रुपये की संपत्ति संभालने की चुनौती

Successor of Narendra Giri महंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु के बाद अब उनके उत्तराधिकार पर सभी 13 अखाड़ों को निर्णय लेना है। भविष्य में जो भी नया मुखिया होगा उसके लिए यह डगर काफी कठिन होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी और निरंजनी अखाड़ा के पास संपत्ति अथाह है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 08:52 AM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 08:52 AM (IST)
Narendra Giri Successor: महंत के नए उत्तराधिकारी के सामने होगी अरबों रुपये की संपत्ति संभालने की चुनौती
नरेंद्र गिरि न्‍यूज: अरबों रुपये की संपत्ति संभालना महंत के नए उत्तराधिकारी के समक्ष होगी बड़ी चुनौती

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के मुखिया का चयन अब जितना कठिन है, उससे भी बड़ी चुनौती दिवंगत महंत नरेंद्र गिरि के उत्तराधिकारी के सामने भी रहेगी। चुनौती यह होगी कि श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी और निरंजनी अखाड़ा की अरबों रुपये की संपत्ति की रखवाली कैसे हो। भरद्वाजपुरम अल्लापुर में स्थित मठ से लेकर प्रयागराज में जगह-जगह कीमती जमीनें, आसपास के जिलों में मठ और निरंजनी अखाड़ा की संपत्ति, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश समेत देश के कई अन्य राज्यों में भी आश्रम और जमीनें हैं। इनकी कीमत आठ से 10 अरब रुपये होने का अनुमान है। 

महंत के उत्‍तराधिकार पर 13 अखाड़े लेंगे निर्णय

महंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु के बाद अब उनके उत्तराधिकार पर सभी 13 अखाड़ों को निर्णय लेना है। यह बात अलग है कि मामले की सीबीआइ जांच के चलते उत्तराधिकारी चयन की प्रक्रिया को टाला गया है। हालांकि  भविष्य में जो भी नया मुखिया होगा, उसके लिए यह डगर काफी कठिन होगी। ऐसा इसलिए क्योंकि श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी और निरंजनी अखाड़ा के पास संपत्ति अथाह है। 

आनंद गिरि से महंत के विवाद की जड़ संपत्ति ही थी

आनंद गिरि व महंत नरेंद्र गिरि के बीच विवाद की जड़ भी संपत्ति ही रही। संपत्ति के बारे में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण लोगों की मानें तो प्रयागराज में ही अलग-अलग क्षेत्रों में 300 करोड़ से अधिक की संपत्ति है। झूंसी, करछना, मेजा, कौशांबी में भी जमीनें हैं। श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी ही करीब सात बीघे जमीन पर स्थित है।

इस पूरे साम्राज्‍य पर नजर रखना आसान नहीं होगा

आलीशान गेस्ट हाउस, फार्म हाउस, लग्जरी गाडिय़ां, स्वामी विचारानंद संस्कृत महाविद्यालय, गोशाला, निरंजनी अखाड़े की उज्जैन में ढाई सौ बीघा जमीन, नासिक में करीब 100 बीघा जमीन, राजस्थान के जयपुर में जमीन, बड़ोदरा में करीब 50 बीघा जमीन, हरिद्वार स्थित निरंजनी अखाड़े का मुख्यालय, दर्जनों छोटे-बड़े मठ व आश्रम और नोएडा में भी आश्रम हैं। इस पूरे साम्राज्य पर नजर रखना, उसका रखरखाव और कहां पर किसी दूसरे की जिम्मेदारी है, इसका पता लगाना मुश्किल होगा।

नरेंद्र गिरि जैसी पैठ टेढ़ी खीर

दिवंगत महंत नरेंद्र गिरि इतने बड़े साम्राज्य का संचालन चुटकियों में यूं ही नहीं करते थे। उन्होंने दरअसल साधु, संन्यासियों से लेकर सत्ता और विपक्षी दलों में भी गहरी पैठ बनाई थी। नामी गिरामी नेताओं, न्यायिक पेशे में महत्वपूर्ण पदों पर आसीन लोगों, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों, समाज के विभिन्न क्षेत्रों में कई महत्वपूर्ण व्यक्तियों से उनका आत्मीय संबंध था। यही वजह थी कि महंत नरेंद्र गिरि सभी के चहेते थे और प्रभाव ऐसा था कि मठ व अखाड़े की संपत्ति पर किसी की गिद्ध दृष्टि तक नहीं पड़ सकती थी। संपत्ति के रखरखाव और सुरक्षा का सवाल तो दूर, नए मुखिया के लिए इस तरह की सामाजिक जमीन मजबूती से बनाना ही बड़ी बात होगी।

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