महंत नरेंद्र गिरि के सामने आखिर क्या मजबूरी थी जो समझौते के लिए जाना पड़ा सपा नेता के घर
गुरू और शिष्य के बीच गिले-शिकवे मठ के भीतर भी दूर हो सकते थे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जब बड़े-बड़े लोग मठ में आते थे तो उन्हें 200 किलोमीटर दूर क्यों जाना पड़ा और इसके पीछे सही वजह क्या रही होगी। इस पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। अल्लापुर स्थित श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी। यहां मंत्री, नेता, नौकरशाह से लेकर तमाम वीआइपी जाते थे और महंत नरेंद्र गिरि से आशीर्वाद लेते थे। मगर जब महंत और उनके परम शिष्य आनंद गिरि के बीच विवाद उपजा तो हालात बदल गए। उनके बीच कुछ दिनों बाद समझौता हुआ, लेकिन लखनऊ में एक सपा नेता के घर पर। अब नरेंद्र गिरि की मृत्यु के बाद सवाल उठ रहा है कि आखिरकार महंत की ऐसी क्या मजबूरी थी कि उन्हें सपा नेता के घर जाना पड़ा। गुरू और शिष्य के बीच गिले-शिकवे मठ के भीतर भी दूर हो सकते थे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जब बड़े-बड़े लोग मठ में आते थे तो उन्हें 200 किलोमीटर दूर क्यों जाना पड़ा और इसके पीछे सही वजह क्या रही होगी। इसको लेकर भी कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
पता किया जाना है कि किन शर्तों पर हुआ था समझौता
उच्च पदस्थ पुलिस सूत्रों का कहना है कि सीबीआइ की टीम इस एंगल पर भी जरूर जांच करेगी। महंत नरेंद्र गिरि व उनके शिष्य आनंद गिरि के बीच उपजे विवाद में निपटारा कराने के लिए सपा नेता इंदु प्रकाश मिश्रा, भाजपा नेता सुशील मिश्रा और एडिशनल एसपी ओपी पांडेय ने मध्यस्तता की थी। इस आधार पर महंत की मृत्यु की हकीकत जानने के लिए तहकीकात कर रही सीबीआइ इनसे भी पूछताछ कर सकती है। यह भी पता लगाया जा रहा है कि विवाद की सही वजह क्या थी और समझौता किन शर्तों पर हुआ था। उन शर्तों काे दोनों पक्षों ने पूरा किया था अथवा नहीं, इसकी भी सच्चाई का पता लगाया जाएगा।
सुलह कराने वालों से भी होंगे सवाल-जवाब
यह भी कहा जा रहा है कि आनंद गिरि अपने गुरू से मिलने के लिए गुरू पूर्णिमा पर आने वाले थे, लेकिन उन्हें मना कर दिया गया था। साथ ही उन्हें जिस पद से बाहर किया गया था, उसे बहाल भी नहीं किया गया था। ऐसे में कहा जा रहा है कि सीबीआइ टीम आनंद गिरि से पूछताछ के बाद सुलह कराने वालों से भी सवाल-जवाब करेगी।