Narendra Giri: लेटे हनुमान मंदिर के पुजारी का आलीशान मकान और बेटा चलता है 30 लाख की कार में
महंत नरेंद्र गिरि के शिष्यों और सेवादारों ने भी खूब दौलत कूटी है। आपको हैरानी होगी कि काम पुजारी का और कुछ हजार रुपये वेतन लेकिन ठाट-बाट जैसे रईसों के। जेल में बंद पुजारी और उसके पुत्र संदीप तिवारी की दौलत के बारे में जानकर पुलिस अधिकारी भी हतप्रभ हैं
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। बरसों तक लगातार सुर्खियों में रहने के बाद संदिग्ध हालात में मौत का शिकार हुए महंत नरेंद्र गिरि के शिष्यों और सेवादारों ने भी खूब दौलत कूटी है। आपको हैरानी होगी कि काम पुजारी का, वेतन भी महज कुछ हजार रुपये लेकिन ठाट-बाट रईसों जैसे। आनंद गिरि के साथ जेल में बंद पुजारी आद्या प्रसाद और उसके पुत्र संदीप तिवारी की दौलत और रहन-सहन के बारे में जानकर पुलिस अधिकारी भी हतप्रभ हैं। 9200 रुपये मासिक वेतन पाने वाले पुजारी ने नैनी में तकरीबन ढाई करोड़ का आलीशान मकान बना रखा है तो उसका पुत्र संदीप भी 30 लाख कीमत की लग्जरी कार में चलता है और एक लाख रुपये का मोबाइल रखता है।
तो क्या चढ़ावे में भी हाथ मारते रहे पुजारी जी
महंत की मौत के बाद जब आनंद गिरि समेत तीन लोगों के खिलाफ एफआइआर लिखकर पुलिस पुजारी आद्या प्रसाद को गिरफ्तार करने के लिए नैनी में दक्षिणी लोकपुर मोहल्ले में पहुंची तो उसका आलीशान मकान देख सन्न रह गई। सोचा था कि वह पुजारी हैं तो परिवार साधारण से घर में रहता होगा लेकिन उनका मकान तो जबरदस्त निकला। लोगों का कहना है कि ढाई करोड़ रुपये से ज्यादा ही कीमत का होगा पुजारी का मकान। अब पुलिस अधिकारी यह नहीं समझ पा रहे कि जिस 9200 रुपये वेतन में परिवार का गुजारा करना भी कठिन है उसमें कोई ऐसा मकान कैसे बना सकता है। साफ है कि वेतन तो पुजारी के लिए बस कहने के लिए है, कमाई तो ज्यादा ही होती रही। माना जा रहा है कि मंदिर में आने वाले रोज के चढ़ावे में पुजारी ने लंबा हाथ मारा है।
पुजारी के पुत्र का भी गजब का ठाट
पुजारी के पुत्र संदीप तिवारी के बारे में पता चला कि उसे भी मंदिर में नौ हजार रुपये ही पगार मिलती रही है लेकिन उसके भी गजब के ठाट हैं। पुलिस यह जानकर हैरान है कि वह 30 लाख रुपये की कार में चलता है और उसके हाथ में रहने वाला मोबाइल फोन भी एक लाख रुपये से ज्यादा का है। वह भी आनंद गिरि जैसी लाइफ स्टाइल पर चल रहा था। उसे मंदिर परिसर में प्रसाद बेचने की एक दुकान दे दी गई थी लेकिन माना जा रहा है कि कमाई के पीछे और भी जरिए हैं। अब सीबीआइ इन सभी पहलुओं के बारे में भी तहकीकात करेगी।
मोहल्ले वालों से नहीं रखा ताल्लुक
पुजारी के परिवार के सदस्य मोहल्ले के लोगों से संपर्क नहीं रखते यही वजह है कि मोहल्ले वाले उनके बारे में कुछ भी बता पाने में असमर्थता जता रहे हैं। करछना क्षेत्र के कौवा गांव के दिवान का पूरा गांव निवासी आद्या तिवारी कई सालों से मंदिर के पुजारी का कामकाज देख रहे थे। आठ साल पहले उन्होंने अपनी बुआ से दक्षिणी लोकपुर मोहल्ले में मकान खरीदा था। तब से उनकी पत्नी पार्वती देवी, दो बेटे राजेश तिवारी और संदीप तिवारी का परिवार उसी मकान में रहने लगा था। चार माह पहले मकान को पुट्टी के साथ रंग रोगन कराया गया था। आद्या तिवारी अधिकतर मंदिर में ही रहते थे। आसपास के लोगों ने बताया कि वह कभी कभार ही घर पर आते थे।