Narendra Giri News: कैलाशानंद और वेदांती बोले-सुसाइड नोट फर्जी, CBI से करानी चाहिए जांच
श्री निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि ने सुसाइड नोट पर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया है। इनका कहना है कि सुसाइड नोट किसी पढ़े लिखे व्यक्ति ने लिखा है। नरेंद्र गिरि ऐसा नहीं लिखते थे। हर पेज की लिखावट और हस्ताक्षर भी अलग अलग है। ऐसे में शक बढ़ता है
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत का मामला देश भर में सुर्खियों में छाया है। घटना के तीसरे रोज अब महंत के पार्थिव शरीर को पोस्टमार्टम के बाद भू समाधि की खातिर ले जाया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में फांसी लगाकर आत्महत्या की बात आई है लेकिन अब भी देश भर के साधु संत और महंत के भक्तों तथा करीबियों को इस पर भरोसा नहीं हो रहा कि वह खुद अपनी जिदंगी खत्म कर देंगे। नामचीन संतों और कई नेताओं का अब भी कहना है कि यह आत्महत्या नहीं सुनियोजित कत्ल है। सबने घटना की गहराई से तहकीकात तथा सीबीआइ से जांच पर जोर दिया है।
गद्दी हासिल करने के लिए है यह साजिश
इस घटना पर बीजेपी के पूर्व सांसद राम विलास वेदांती ने कहां कि महंत नरेंद्र गिरि की मौत गद्दी हासिल करने के लिए बहुत बड़ा षड्यंत्र का हिस्सा है। उन्होंने इसके लिए सीबीआई जांच की मांग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की। कहा कि वह बहादुर व्यक्ति और संत थे, इस तरह से आत्महत्या नहीं कर सकते। सुसाइड नोट मिलने के सवाल पर कहा कि वह फर्जी है। उसमें कई लोगों की राइटिंग है। लिखावट अलग-अलग है। उन्होंने नरेंद्र गिरी को अपना सच्चा मित्र और राम जन्मभूमि आंदोलन में सहयोगी बताया।
श्री निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि ने सुसाइड नोट पर प्रश्नचिन्ह खड़ा किया है। इनका कहना है कि सुसाइड नोट किसी पढ़े लिखे व्यक्ति ने लिखा है। नरेंद्र गिरि ऐसा नहीं लिखते थे। हर पेज की लिखावट और हस्ताक्षर भी अलग अलग है। ऐसे में शक बढ़ता है इसलिए घटनाक्रम पूरी तरह से संदेहास्पद है।
डिप्टी सीएम ने कहा, शक तो हो रहा आत्महत्या पर
इस बीच यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्या ने भी बुधवार को श्री मठ बाघम्बरी गद्दी के बाहर मीडिया से कहा कि शक तो उन्हें भी है कि यह आत्महत्या है या नहीं लेकिन जांच हो रही है इसलिए कुछ कहना ठीक नहीं नहीं है।
पुराने मित्र को भी नहीं हो रहा भरोसा
उत्तराखंड से निरंजनी अखाड़े के महामंडलेश्वर महेशानंद गिरी भी पहुंचे। उन्होंने भी महंत नरेंद्र गिरि के आत्महत्या पर अविश्वास जताया। उन्होंने भी इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की। दोस्त कृष्णकांत पांडेय ने कहा कि कर्मचारियों से दुखी रहते थे। उन पर बहुत जिम्मेदारी थी। कृष्णकांत ने कहा कि उन्हें तो भरोसा ही नहीं रहा कि नरेंद्र गिरि नहीं रहे। कभी लगा नहीं कि उनके मन में ऐसा कुछ चल रहा है या वह इस कदर परेशान हो सकते हैं कि मौत को गले लगा लेंगे। वह तो मजबूत व्यक्तित्व के धनी थे।