Mahant Narendra Giri: वसीयत ने कराई गुरु-शिष्य में कलह, बलवीर गिरि के नाम वसीयत होने से नाराज थे आनंद गिरि

नरेंद्र गिरि ने श्री मठ बाघम्बरी गद्दी की चार सौ स्क्वायर फिट जमीन आनंद गिरि के नाम पर लीज पर किया था। आनंद गिरि 2018 में उसमें पेट्रोल पंप लगवाने की तैयारी करने लगे। नरेंद्र गिरि ने लीज खत्म करने को कहा। आनंद गिरि उसके लिए तैयार नही हुए।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 08:00 AM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 08:00 AM (IST)
Mahant Narendra Giri: वसीयत ने कराई गुरु-शिष्य में कलह, बलवीर गिरि के नाम वसीयत होने से नाराज थे आनंद गिरि
21 अगस्त 2000 को महंत नरेंद्र गिरि से ली थी दीक्षा और तब से सबसे खास बने रहे वह

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। कभी अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के सबसे करीबी शिष्य थे योगगुरु स्वामी आनंद गिरि। 'छोटे महाराज के रूप में विख्यात आनंद गिरि कुछ साल पहले तक निर्विवाद रूप से नरेंद्र गिरि के उत्तराधिकारी माने जा रहे थे, लेकिन स्थिति अचानक बदल गई। आनंद गिरि की कार्यप्रणाली से नाराज नरेंद्र गिरि ने चार जून 2020 को बलवीर गिरि को अपना उत्तराधिकारी घोषित करके उनके नाम रजिस्टर्ड वसीयत करवा दिया। इसकी जानकारी आनंद गिरि को हो गई थी। यहीं से गुरु-शिष्य के रिश्ते बिगडऩे लगे। हरिद्वार कुंभ के बाद विवाद सतह पर आ गया और दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ खुलकर बयानबाजी शुरू कर दिया।

पेट्रोल पंप के लिए बढ़ गई थी तल्खी

मूलत: राजस्थान के भीलवाड़ा जिला के आसिन तहसील के अंतर्गत आने वाले ब्राह्मण की सरेरी गांव के निवासी अशोक कुमार चोटिया ने 21 अगस्त 2000 को महंत नरेंद्र गिरि से दीक्षा लिया। संन्यास के बाद इनका नाम आनंद गिरि पड़ा। आनंद गिरि प्रयागराज में रहकर गुरु की सेवा करते थे, जबकि बलवीर गिरि हरिद्वार का काम संभालते थे। नरेंद्र गिरि पहले बलवीर गिरि के काम से प्रभावित थे। इसी कारण सात जनवरी 2010 को बलवीर गिरि को उत्तराधिकारी बनाने की वसीयत करवाई। इसके डेढ़ साल बाद 29 अगस्त 2011 को आनंद गिरि को अपना उत्तराधिकारी बनाने की वसीयत करवाई। यह वसीयत गुप्त थी, किसी को उसकी जानकारी नहीं दी, परंतु गुरु नरेंद्र गिरि खुलेआम आनंद गिरि पर आत्मीयता दर्शाते थे। यहीं से आनंद गिरि ने अपना वैभव बढ़ाना शुरू कर दिया। वह 2014 में गंगा सेना नामक संस्था बनाकर माघ मास में संगम तट पर अलग शिविर लगाने लगे। विदेश दौरे के बारे में नरेंद्र गिरि को कोई जानकारी नहीं देते, न ही पैसे का कोई हिसाब देते थे। आनंद गिरि की यह कार्यप्रणाली नरेंद्र गिरि के दूसरे शिष्यों को नहीं भाती थी और वे गुरु का कान भरने लगे। नरेंद्र गिरि ने श्री मठ बाघम्बरी गद्दी की चार सौ स्क्वायर फिट जमीन आनंद गिरि के नाम पर लीज पर किया था। आनंद गिरि 2018 में उसमें पेट्रोल पंप लगवाने की तैयारी करने लगे। नरेंद्र गिरि उस पर तैयार नहीं हुए और लीज खत्म करने को कहा। आनंद गिरि उसके लिए तैयार नही हुए। इससे नरेंद्र गिरि की नाराजगी बढ़ गई। उन्होंने चार जून 2020 में नई वसीयत बनवाकर बलवीर गिरि को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया।

हरिद्वार कुंभ में बढ़ा विवाद

हरिद्वार में 2021 के मार्च-अप्रैल महीने में कुंभ मेला लगा था। गुरु-शिष्य के बीच वहां भी विवाद हुआ था, लेकिन श्रीनिरंजनी अखाड़े के महात्माओं ने उसे बाहर आने नहीं दिया।

कुंभ के बाद आरोप-प्रत्यारोप

हरिद्वार कुंभ खत्म होने के बाद परिवार से संपर्क रखने व गुरु के खिलाफ साजिश करने के आरोप में आनंद गिरि को श्रीनिरंजनी अखाड़ा ने 14 मई 2021 को निष्कासित कर दिया। इसके बाद नरेंद्र गिरि ने उन्हेंं श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी व बड़े हनुमान जी मंदिर की व्यवस्था से निष्कासित कर दिया। फिर आनंद गिरि ने गुरु पर जमीन बेंचने व कुछ विद्यार्थियों का करोड़ों रुपये कीमत का मकान बनवाने का आरोप लगाया था। गुरु-शिष्य के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर कई दिनों तक चला। नरेंद्र गिरि के एक शिष्य के लखनऊ स्थित निवास में 26 मई को गुरु-शिष्य की मुलाकात हुई। आनंद गिरि ने गुरु नरेंद्र गिरि से बिना शर्त माफी मांगी।

नहीं आए थे गुरु पूर्णिमा पर

सुलह होने के बावजूद नरेंद्र गिरि व आनंद गिरि के बीच तल्खी खत्म नहीं हुई थी। यही कारण है कि गुरु पूर्णिमा पर आनंद गिरि गुरु पूजन करने के लिए प्रयागराज नहीं आए। उन्होंने कहा था कि गुरु ने उनसे जो वादा किया था उसे पूरा नहीं किया। इससे वो गुरु पूर्णिमा पर नहीं पूजन के लिए नहीं आए।

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