Narendra Giri Death: देरी पर उठे सवाल, शव का जल्द से जल्द पोस्टमार्टम कराने का है नियम

शव को शीघ्र अतिशीघ्र पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाना चाहिए लेकिन कुछ व्यावहारिक अड़चन भी आती है जिससे पोस्टमार्टम में देरी हो सकती है। यदि शव डीप फ्रीजर में रखा गया है तो लक्षण में ज्यादा बदलाव नहीं होता है।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Wed, 22 Sep 2021 07:00 AM (IST) Updated:Wed, 22 Sep 2021 07:00 AM (IST)
Narendra Giri Death: देरी पर उठे  सवाल, शव का जल्द से जल्द पोस्टमार्टम कराने का है नियम
पूर्व आइपीएस ने कहा कि डीप फ्रीजर में शव रखा होने पर नहीं बदलते लक्षण

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। किसी भी व्यक्ति की अप्राकृतिक मौत होने पर उसके शव को जल्द से जल्द पोस्टमार्टम के लिए भेजने का नियम है, लेकिन महंत नरेंद्र गिरि के पार्थिव शरीर का पोस्टमार्टम घटना के दूसरे दिन भी नहीं कराया जा सका। ऐसे में लोग तरह तरह के कयास लगाने लगे हैं हालांकि उनका शव डीप फ्रीजर में रखा गया है, जिस कारण लक्षण नहीं बदलने की बात कही जा रही है।

पूर्व आइपीएस ने कहा, हो सकती है कभी पीएम में देरी

रिटायर आइपीएस आरके चतुर्वेदी के मुताबिक, 174 सीआरपीसी के तहत अस्वाभाविक मौत होने पर शव का पोस्टमार्टम कराने का नियम है ताकि मौत का सही कारण पता चल सके। अगर किसी डाक्टर ने किसी का मृत्यु प्रमाण पत्र बना दिया है। मगर उसके लक्षण मेल नहीं खा रहे हैं तो भी पोस्टमार्टम कराया जाता है। इसके बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर संबंधित धारा में मुकदमा दर्ज किया जाता है। 174 सीआरपीसी के अंतर्गत ही पंचायतनामा की कार्रवाई होती है। इसमें यह भी उल्लेखित है कि नियमानुसार को शव को शीघ्र अतिशीघ्र पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाना चाहिए, लेकिन कुछ व्यावहारिक अड़चन भी आती है, जिससे पोस्टमार्टम में देरी हो सकती है। यदि शव डीप फ्रीजर में रखा गया है तो लक्षण में ज्यादा बदलाव नहीं होता है।

12 घंटे के भीतर होना चाहिए पोस्टमार्टम

सेवानिवृत्त सीएमओ डा. पीके सिन्हा का कहना है कि आमतौर पर मौत के 12 घंटे के अंदर पोस्टमार्टम हो जाना चाहिए। लेकिन शव को अगर डीप फ्रीजर में रखा गया है तो 24 घंटे के बाद भी कोई बदलाव की संभावना नहीं होती है। अगर मौत के कारणों में संदेह है तो तीन डाक्टरों के पैनल से पोस्टमार्टम कराना होता है, जिसमें एक डाक्टर सीनियर होता है। फांसी या दम घुटने के मामले में हाईड बोन का टूटना या न टूटना महत्वपूर्ण होता है। पोस्टमार्टम में इसी बिंदु को खासतौर पर देखा जाता है।

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