Narendra Giri Death: शिष्य आनंद गिरि से हुए विवाद ने महंत को अंदर से झकझोर डाला था

परिवार से संपर्क रखने तथा गुरु के खिलाफ साजिश करने के आरोप में आनंद गिरि को निरंजनी अखाड़ा ने 14 मई 2021 को निष्कासित कर दिया। नरेंद्र गिरि ने उन्हें श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी व बड़े हनुमान जी मंदिर की व्यवस्था से निष्कासित कर दिया था

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 09:36 PM (IST) Updated:Tue, 21 Sep 2021 06:50 AM (IST)
Narendra Giri Death: शिष्य आनंद गिरि से हुए विवाद ने महंत को अंदर से झकझोर डाला था
महंत नरेंद्र गिरि हिंदुत्व की आवाज निरंतर करते रहे मुखर मगर विवाद ने कर दिया निराश

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। बेबाक, निर्भीक व्यक्तित्व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की पहचान थी। हिंदुत्व के मुद्दे को लगातार धार देते रहे। मतांतरण, तीन तलाक, बकरीद में जीव हत्या का लगातार मुखर विरोध करते रहे। गाय-गंगा की रक्षा, संस्कृत भाषा के संरक्षण को लेकर महंत नरेंद्र गिरि लगातार बयान देते थे, परंतु कुछ महीने पहले शिष्य आनंद गिरि के साथ हुए विवाद ने उन्हें झकझोर कर रख दिया था। प्रतिष्ठा धूमिल हुई थी, इससे यूं तो थोड़ा असहज थे, लेकिन उससे भी बेफिक्र रहते थे। उनका कहना था कि चाहे जो जांच करानी हो करा ली जाय, उन्हें किसी का डर नहीं है। यही कारण है कि उनके आत्महत्या करने की घटना से हर कोई अवाक है, नरेंद्र गिरि को जानने वाले घटना पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं।

राजस्थान में भीलवाड़ा के आनंद गिरि

मूलत: राजस्थान के भीलवाड़ा जिला के आसिन तहसील के अंतर्गत आने वाले ब्राह्मण की सरेरी गांव के निवासी आनंद गिरि महंत नरेंद्र गिरि के करीबी शिष्य थे। महंत नरेंद्र गिरि से 21 अगस्त 2000 को संन्यास लेने के बाद आनंद गिरि उनके संरक्षण में रहने लगे थे। संस्कृत, वेद व योग की शिक्षा ग्रहण की। मठ के अन्य शिष्यों से खुद की अलग पहचान बनाने के लिए अंग्रेजी की पढ़ाई भी की। साथ ही गुरु के करीब रहकर मठ व बड़े हनुमान मंदिर का काम देखने लगे। सन 2014 में आनंद गिरि ने खुद को नरेंद्र गिरि का उत्तराधिकारी के रूप में प्रचारित करना शुरू किया तो उसका विरोध हुआ। नरेंद्र गिरि ने तब स्वयं कहा था कि आनंद गिरि उनके उत्तराधिकारी नहीं बल्कि शिष्य हैं। उन्होंने दीक्षा दी है, लेकिन उत्तराधिकारी किसी को नहीं बनाया है। परिवार से संपर्क रखने तथा गुरु के खिलाफ साजिश करने के आरोप में आनंद गिरि को निरंजनी अखाड़ा ने 14 मई 2021 को निष्कासित कर दिया। नरेंद्र गिरि ने उन्हें श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी व बड़े हनुमान जी मंदिर की व्यवस्था से निष्कासित कर दिया था। इसके बाद आनंद गिरि ने गुरु पर जमीन बेचने व कुछ विद्यार्थियों का करोड़ों का मकान बनवाने का आरोप लगाया था। फिर नरेंद्र गिरि के एक शिष्य के लखनऊ स्थित निवास में 26 मई को गुरु-शिष्य की मुलाकात हुई। आनंद गिरि ने गुरु नरेंद्र गिरि से बिना शर्त माफी मांगी थी। नरेंद्र गिरि ने उन्हें माफ करके गुरु पूर्णिमा पर मठ बाघम्बरी गद्दी में आने की अनुमति दी थी।

आनंद गिरि ने गुरु पर लगाए थे तमाम आरोप

स्वामी आनंद गिरि ने गुरु महंत नरेंद्र गिरि पर परिवार से संबंध रखने का आरोप लगाया था। कहा था कि महंत नरेंद्र गिरि पर अपने भाइयों, गनर व चहेते शिष्यों के नाम पर करोड़ों की संपत्ति खरीदी है। आनंद गिरि का आरोप था कि महंत नरेंद्र गिरि ने बड़े भाई अशोक सिंह, छोटे भाई आनंद सिंह व अरविंद सिंह तथा मामा रत्नेश सिंह के लिए अलग-अलग स्थानों पर करोड़ों की संपत्ति खरीदी। साथ ही सुरक्षा में लगे सिपाही अजय सिंह व उसकी पत्नी के नाम बाघम्बरी हाउसिंग स्कीम में थ्री बीएचके के दो फ्लैट, झूंसी व नारीबारी में कई एकड़ जमीन खरीदी। विद्यार्थी मनीष शुक्ल के लिए मध्य प्रदेश के रीवा में चार करोड़ रुपये का बंगला बनवाने, उसकी शादी में करोड़ों रुपये खर्च करने का आरोप लगाया। विद्यार्थी शीवेक मिश्र के लिए रीवा के त्योथर तहसील के अंतर्गत उनके पैतृक गांव ओझा का पुरवा में चार करोड़ रुपये का आलीशान मकान बनवाने के साथ 22 एकड़ जमीन भी खरीदने का आरोप लगा था। आनंद गिरि का कहना था कि विद्यार्थी अभिषेक मिश्र के लिए आजमगढ़ के बिशनपुर गांव में छह करोड़ रुपये का मकान बनवाने के साथ आठ एकड़ जमीन महंत नरेंद्र गिरि ने खरीदी है। विद्यार्थी मनीष, शिवेक व अभिषेक के नाम पर फार्चुनर, आर्या, हांडा सिटी सहित मठ की कई लग्जरी गाडिय़ां किए जाने का आरोप लगाते हुए आनंद गिरि का कहना था कि इसका विरोध करने पर उन्हें प्रताडि़त किया जाने लगा।

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