Narendra Giri Death Case: घटना वाले दिन महंत ने मोबाइल पर 18 लोगों से की थी बात, एसआइटी जांच में तथ्‍य मिला

Narendra Giri Death Case घटना वाले दिन यानी 20 सितंबर को महंत नरेंद्र गिरि के मोबाइल नंबरों से हुई काल और मैसेज को खंगाले जाने के क्रम में पता चला कि आउटगोइंग तथा इनकमिंग वाली कुल 35 काल थी। कुल 18 लोगों से बातचीत हुई थी।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 07:46 AM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 07:46 AM (IST)
Narendra Giri Death Case: घटना वाले दिन महंत ने मोबाइल पर 18 लोगों से की थी बात, एसआइटी जांच में तथ्‍य मिला
जिस दिन महंत की मौत हुई उस दिन उनके मोबाइल पर 35 काल हुई थी, 18 से बात हुई थी।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। महंत नरेंद्र गिरि मृत्यु प्रकरण की जांच कर रही विशेष जांच टीम ( एसआइटी) को कुछ और बातें पता चली हैैं। महंत के मोबाइल नंबर को खंगाले जाने दौरान यह तथ्य सामने आया है कि घटना वाले दिन उन्होंने 18 लोगों से बातचीत की थी। इनमें हरिद्वार निवासी दो प्रापर्टी डीलर भी हैैं। इनमें हरिद्वार के भी कुछ लोग भी हैं, जिनकी काल आई थी। एसआइटी ने इस दिशा में पूछताछ की तैयारी की है।

आउटगोइंग व इनकमिंग की कुल 35 मोबाइल काल

घटना वाले दिन यानी 20 सितंबर को महंत नरेंद्र गिरि के मोबाइल नंबरों से हुई काल और मैसेज को खंगाले जाने के क्रम में पता चला कि आउटगोइंग तथा इनकमिंग वाली कुल 35 काल थी। इसकी समयावधि क्या है, यह नहीं बताया गया। कुल 18 लोगों से बातचीत हुई थी। इनमें दो प्रापर्टी डीलर समेत कुछ लोग हरिद्वार के हैं। उनकी क्या बातचीत हुई थी, यह साफ नहीं हो सका है। एसआइटी ने इन नंबरों की सूची तैयार की है और हरिद्वार पुलिस से संपर्क कर उनके विषय में जानकारी रूपी मदद मांगी है। माना जा रहा है कि इन सभी को प्रयागराज बुलाकर अथवा फिर हरिद्वार जाकर उनका बयान लिया जा सकता है।

सेवादारों से फिर की गई पूछताछ

श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी में रहने वाले महंत नरेंद्र गिरि के कुछ सेवादारों से फिर पूछताछ की गई। उनसे पूछा गया कि उन्होंने अंतिम बार महंत को कितने बजे देखा था? इसके पहले किस-किस से बातचीत की थी। क्या कहा था। उनके चेहरे पर कोई तनाव था या नहीं। वह परेशान नजर आ रहे थे अथवा सामान्य थे। दरवाजे पर सबसे पहले किसने दस्तक दी थी?

अहम सवाल पूछे कि महंत को अस्पताल क्यों नहीं ले गए

दरवाजा तोड़कर भीतर घुसे सेवादारों से यह सवाल भी किया गया कि महंत को फंदे से उतरने के बाद आखिर अस्पताल क्यों नहीं ले जाया गया? करीब तीन सौ मीटर दूरी पर एक निजी अस्पताल है। सेवादारों ने बताया कि महंत की सांस टूट चुकी थी। फंदे से लटकते देखकर वह घबरा भी गए थे, और इस बारे में सोच नहीं सके थे।

chat bot
आपका साथी