UP के ​​​​​मंत्री रविंद्र जायसवाल के खिलाफ मुकदमा वापसी की अर्जी एमपी एमएलए कोर्ट से खारिज

मंत्री रविंद्र जायसवाल के खिलाफ सड़क जाम कर आवागमन बाधित करते हुए गालीगलौज तथा जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा वाराणसी के चेतगंज थाने में दर्ज कराया गया था। यह एफआइआर थानाध्यक्ष चेतगंज बुध सिंह चौहान ने 12 सितंबर 2007 को दर्ज कराई थी।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Thu, 16 Sep 2021 06:50 AM (IST) Updated:Thu, 16 Sep 2021 06:50 AM (IST)
UP के ​​​​​मंत्री रविंद्र जायसवाल के खिलाफ मुकदमा वापसी की अर्जी एमपी एमएलए कोर्ट से खारिज
शासन की वाद वापसी अर्जी खारिज कर दी प्रयागराज की एमपी एमएलए कोर्ट ने

प्रयागराज, विधि संवाददाता। योगी मंत्रिमंडल के मंत्री रविंद्र जायसवाल को अदालत से जोर का झटका लगा है। यूपी के इन मंत्री के खिलाफ विचाराधीन मुकदमे को वापस लेने की शासन की अर्जी को एमपी एमएलए की विशेष कोर्ट ने ने खारिज कर दिया है। शासन के निर्देश पर अभियोजन पक्ष की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता गुलाब चंद्र अग्रहरि ने तीन दिसंबर 2019 को वाद वापसी की अर्जी कोर्ट में दाखिल की थी। विशेष न्यायाधीश आलोक कुमार श्रीवास्तव ने बुधवार को वाद वापसी की अर्जी खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि मुकदमे में आरोपित जमानत पर है। मामले में अभी आरोप सृजित नहीं हुआ है। 11 अक्टूबर को आरोपित उपस्थित हो, उसी दिन मामले में कोर्ट आरोप तय करेगी।

12 सितंबर 2007 का है यह मामला

यहां बता दें कि मंत्री रविंद्र जायसवाल के खिलाफ सड़क जाम कर आवागमन बाधित करते हुए गालीगलौज तथा जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा वाराणसी के चेतगंज थाने में दर्ज कराया गया था। यह एफआइआर तत्कालीन थानाध्यक्ष चेतगंज बुध सिंह चौहान ने 12 सितंबर 2007 को दर्ज कराई थी। इस मुकदमे में है कि तत्कालीन विधायक कैंट ज्योत्सना श्रीवास्तव और चुनाव में उम्मीदवार रहे रविंद्र जायसवाल अपने समर्थकों के साथ अंधरा पुल पर जाम लगाकर केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे। मुकदमा लिखाने वाले थानेदार का आरोप है कि जाम खुलवाने के लिए बातचीत करने पर गाली गलौज कर जान से मारने की धमकी दी। इस मामले में 23 नामजद और 50 अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था।

दलील दी कि साक्ष्य ऐसे नहीं कि सजा हो सके

इस केस में शासन के निर्देश पर अभियोजन पक्ष की ओर से जिला शासकीय अधिवक्ता गुलाब चंद्र अग्रहरि ने तीन दिसंबर 2019 को वाद वापसी की अर्जी कोर्ट में दाखिल की थी। अभियोजन का कहना था कि अभियुक्त जनप्रतिनिधि है। वह सरकार में मंत्री हैं। इस मुकदमे में साक्ष्य ऐसे नहीं हैं कि अभियुक्त को सजा दी जा सके। ऐसे में वाद वापसी जनहित में है। हालांकि अभियोजन की दलील को अदालत ने तवज्जो नहीं दी है।

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