सड़क पर जहां लगे हचके, वहां चलें बचके
कभी सड़क की खराबी कभी ओवर स्पीड तो कभी नौसिखियों की अलबेली चाल के चलते प्रयागराज में सडक हादसे बढ़ रहे हैं। परिवहन डिपार्टमेंट ने ऐसे 36 स्थान चिंहित किए हैं जहां सबसे अधिक हादसे होते हैं।
अमितेश पांडेय, प्रयागराज : कभी सड़क की खराबी, कभी ओवर स्पीड तो कभी नौसिखियों की अलबेली चाल से आए दिन दुर्घटनाएं और सड़कें खून से लाल हो रही हैं। दुर्घटना बाहुल्य क्षेत्र के तमाम संकेतक बोर्ड लगे होने, स्प्रिंटर लाइट और स्पीड ब्रेकर के बावजूद सड़क हादसे बढ़ते ही जा रहे हैं। शहरी क्षेत्र में 36 ऐसे स्थान परिवहन विभाग में चिह्नित हैं जहां दुर्घटनाएं अधिक होती हैं, लेकिन इनमें अधिकांश सड़कों की खराबी ही जानलेवा बन रही है। इसलिए बेहद सावधानी से गाड़ी चलाने की जरूरत है और जहां गाड़ियों में हचके लगने महसूस हों वहां बचके चलना ही सुरक्षित यातायात की संकल्पना को साकार करेगा।
सर्दियां शुरू होते ही कोहरे के कारण सड़क हादसों का कहर भी बढ़ने लगता है। वातावरण में धुंध छाने लगी है तो दिसंबर में कोहरे से भी सभी का सामना होगा। ऐसे में दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ जाती है। प्रयागराज में सड़कों की सेहत सुधारने की सरकारी कवायद के बाद भी गड्ढे पीछा नहीं छोड़ रहे हैं। सड़कों की खराबी में लचर इंजीनियरिग भी अहम मानी जा रही है। इसी वजह से जिले में कई सड़कों की पहचान हादसों के लिए हो चुकी है। अंदावा, नया पुल, तेलियरगंज बमरौली में आए दिन हादसे हो रहे हैं। कई प्रमुख रास्तों के किनारे आबादी है जहां अक्सर दुर्घटनाएं हो रही हैं। एआरटीओ प्रशासन सियाराम वर्मा ने बताया कि साल भर में खराब इंजीनियरिग के चलते करीब 30-35 फीसद हादसे होते हैं। इसमें से अधिकतम को गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया जाता है। इनमें से कइयों की जान चली जाती है। जनपद में हैं 51 ब्लैक स्पॉट
एआरटीओ प्रशासन ने बताया कि जनपद में कुल 51 ब्लैक स्पॉट चिह्नित किए गए हैं। इसमें से अगर 15 ग्रामीण स्थानों को छोड़ दिया जाए तो बाकी 36 शहर के ऐसे स्पॉट हैं जहां सबसे ज्यादा हादसे हुए हैं। यहां हादसों का प्रमुख कारण अंधा मोड़ होना, टी प्वाइंट पर ज्यादा स्पीड, स्प्रिंटर लाइटों का खराब होना है। ये हैं शहर के ब्लैक स्पॉट
धोबी घाट चौराहा, पानी टंकी चौराहा, बेली चौराहा, चौफटका, हैप्पी होम मोड, बालसन चौराहा, गीता निकेतन, अंदावा मोड, म्योहाल चौराहा आदि। लॉकडाउन के चलते इस साल हुए कम हादसे
परिवहन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि साल भर में सड़क हादसों के चलते करीब एक हजार लोगों की जान चली जाती है। इस बार लॉकडाउन होने के चलते कम हादसे हुए हैं। 2018 में 1380 सड़क हादसे हुए, इसमें 614 लोगों की जान चली गई। 2019 में 1413 हादसे हुए। इसमें 599 लोगों की मौत हो गई, वहीं 2020 (अक्टूबर तक) में 882 सड़क हादसे हुए, इसमें 399 लोगों ने दम तोड़ दिया। सड़कें बनाने में की लापरवाही
बारिश के पहले शहर में सीवर लाइन बिछाने के लिए सड़कों की खोदाई की गई। लेकिन इन सड़कों की मरम्मत में लापरवाही बरती गई। कहीं, सड़कें अधूरी छोड़ दी गई तो कहीं सीवर के ढक्कन खुले रह गए। कई मार्गो पर सड़क से सीवर का ढक्कन ऊंचा कर दिया गया। इससे हादसे हो रहे हैं। हादसों में दस फीसद की कमी लाने का दावा
परिवहन विभाग के अफसरों का दावा है कि 2019 की तुलना में 2020 में सड़क हादसों में दस फीसद की कमी लाई जाएगी। इसके लिए यातायात सप्ताह का आयोजन किया जा रहा है। साथ ही टीवी चैनल, समाचार पत्रों और सार्वजनिक स्थानों पर यातायात नियमों के बारे में जानकारी दी जा रही है। बरतें सावधानी
- वाहनों में स्पीड लिमिट डिवाइस हर हाल में लगवाएं।
- गाड़ी चलाते समय मोबाइल से बात न करें।
- नशे की हालत में गाड़ी न चलाएं।
- कार चलाते समय सीट बेल्ट जरूर लगाएं।