Mother's Day 2021: कड़क खाकी में छिपा हैं मां की ममता का दुलार, बच्चों को चंद घंटे ही दे पाती हैं प्यार की छांव

Mothers Day 2021 घर की दहलीज पर कदम रखते ही मासूम बच्चों की आवाज सुन कड़क खाकी में छिपा मां का दुलार बाहर आ जाता है। वह गले लगाना चाहती हैं लेकिन संक्रमण का खौफ दूरी बना देता है। वह ही चंद घंटे ही प्यार की छांव दे पाती हैं।

By Rajneesh MishraEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 07:00 AM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 07:00 AM (IST)
Mother's Day 2021: कड़क खाकी में छिपा हैं मां की ममता का दुलार, बच्चों को चंद घंटे ही दे पाती हैं प्यार की छांव
दोनो बच्‍चों के साथ कीडगंज थाने में तैनात उपनिरीक्षक नीलम राघव।

प्रयागराज,जेएनएन। किसी ने ठीक ही कहा है- मत पूछो पुलिस पर क्या गुजरती है हुजूर, तीर भी चलाना है परिंदे भी बचाना है। अब जब महामारी कोरोना का दौर चल रहा है तो संक्रमण को फैलने से रोकना का जिम्मा पुलिस पर आ गया है। ऐसे में महिला पुलिस कर्मियों के सामने नई चुनौतियां हैं। खासकर उनके लिए, जिनके घर में छोटे-छोटे बच्चे हैं। उन्हें अपनी मां के घर आने का बेसब्री से इंतजार रहता है। मगर घर की दहलीज पर कदम रखते ही मासूम बच्चों की आवाज सुन कड़क खाकी में छिपा मां का दुलार बाहर आ जाता है। वह गले लगाना चाहती हैं, लेकिन संक्रमण का खौफ दूरी बना देता है। कोविड गाइड लाइन के अनुसार ही चंद घंटे ही प्यार की छांव दे पाती हैं।

ऐसी ही कुछ कहानी है महिला थाना प्रभारी दीपा सिंह और दारोगा नीलम राघव की। कंधे पर समाज को बेहतर बनाने और कानून की जिम्मेदारी है तो गोद में बच्चों व परिवार की जिम्मेदारी। पुलिस की ड्यूटी की तरह वह खुद को मां के कर्तव्य से विमुख नहीं होने देती हैं। 24 घंटे की कठिन ड्यूटी के बावजूद थोड़ी देर में बच्चों पर पूरा प्यार उड़ेल देती हैं। दीपा सिंह की 13 साल की बेटी और सात वर्ष का बेटा अंश है। पति कानपुर में रहते हैं। ऐसे में उन पर मां के साथ ही कुछ पिता वाले फर्ज भी निभाने पड़ जाते हैं। बकौल दीपा- रात को जब घर पहुंचती हैं तो बेटा दौड़कर आ जाता है। जी करता है कि उसे उठाकर गले से लगाकर चूम लूं। मगर कोरोना के चलते पहले स्नान और फिर घर में सैनिटाइजेशन करने के बाद बच्चों के पास जाती हैं। संक्रमण से बचाने से लेकर उनकी छोटी-छोटी खुशियों का ख्याल रखना होता है। कीडगंज थाने में तैनात दारोगा नीलम राघव के दो पुत्र हैं। आठ साल का प्रवीण और 11 साल का लवलेश। नीलम रोजाना सरायइनायत से कीडगंज ड्यूटी करने के लिए आती हैं। मगर वह फोन पर बच्चों से बातचीत करती रहती हैं और फिर जब घर पहुंचती हैं तो ममता की चादर में खुशियां लपेटकर बच्चों का आलिंगन कर लेती हैं।

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