यहां साहब को दिखने लिए होती है फागिंग, नगर पालिका मंझनपुर में 17 गांव तक नहीं पहुंची अफसरों की नजर

कौशांबी की नगर पालिका मंझनपुर कहने को तो जिले का मुख्यालय है लेकिन दिन के भीड़ भाड़ के बाद यहां की शाम और रात लोगों के लिए परेशानी भरी होती है। मच्छरों का प्रकोप इस प्रकार है कि आप खुले में कुछ देर तक बैठ नहीं सकते।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Sat, 10 Apr 2021 05:56 PM (IST) Updated:Sat, 10 Apr 2021 05:56 PM (IST)
यहां साहब को दिखने लिए होती है फागिंग, नगर पालिका मंझनपुर में 17 गांव तक नहीं पहुंची अफसरों की नजर
मच्छरों का प्रकोप इस प्रकार है कि आप खुले में कुछ देर तक बैठ नहीं सकते।

प्रयागराज, जेएनएन। कौशांबी की नगर पालिका मंझनपुर कहने को तो जिले का मुख्यालय है, लेकिन दिन के भीड़ भाड़ के बाद यहां की शाम और रात लोगों के लिए परेशानी भरी होती है। मच्छरों का प्रकोप इस प्रकार है कि आप खुले में कुछ देर तक बैठ नहीं सकते। कमरे के अंदर मच्छर भगाने की वैकल्पिक व्यवस्था न हो तो रात में सोना भी दूभर होगा। नगर पालिका ने करीब एक माह पहले दो बार दवा का छिड़काव भी कराया है। इसके बाद यदि यह स्थिति है तो विभाग का प्रयास कितना सार्थक है। इसका नतीता खुद निकाल सकते हैं।

खुली नालिया, गंदगी से पटे तालाब में पनप रहे मच्छर 

नगर पालिका के अधिकारी भी कम नहीं है। वह भी दवा का छिड़काव इस प्रकार करते हैं कि अफसर जान जाएं कि नगर पालिका ने फागिंग कराया है। तेज रफ्तार में धुंआ उड़ाते गाड़ी आई और चली गई। उनका भी कोरम पूरा और अधिकारी भी जान गए कि फागिंग कर दी गई, लेकिन मच्छर हैं कि यह मानते ही नहीं की फागिंग की जा चुकी है। मंझनपुर नगर पंचायत का विस्तार करते हुए उसे नगर पालिका का दर्जा दे दिया गया है। इतना ही नहीं विस्तार के साथ ही आसपास के 17 गांव को नगर पालिका में जोड़ दिया गया है, लेकिन यहां की व्यवस्था आज भी गांव की तरह ही चल रही है। न तो समय पर सफाई कर्मचारी पहुंचता है और न ही नाली व तालाब से गंदगी हटी है। इसके कारण मच्छरों का प्रकोप पढ़ रहा है। मच्छरों से बचाव कि वैकल्पिक व्यस्था न करें तो पूरे कस्बे की हालत एक जैसी है। रात के समय तो कही पर राहत ही नहीं, यदि चंद मिनट के लिए पंखे बंद हो जाएं, या फिर मच्छर भगाने की कोई वैकल्पिक व्यवस्था न हो तो रहना मुस्किल है। कहने को तो नगर पालिका क्षेत्र में मार्च माह में दोबार दवा का छिड़काव हुआ है, लेकिन इस दवा को कोई प्रभाव नहीं पड़ा। इसके पीछ ेमाना जा रहा है कि वाहन केवल और केवल अफसरों के दरवाजे पर ही अधिक ध्यान दे रहा था। अन्य स्थानों पर धुंआ उड़ाते हुए वाहन तेजी से गुजर गया। ऐसे में मच्छर मरे ही नहीं। जो अब परेशानी का कारण बने हैं। 

 अच्छा है आप ने पूछ लिया कि मच्छरों से क्या परेशानी है। यहां तो आधी उम्र बीत गई पर आज तक किसी ने इस प्रकार की समस्या को लेकर बात नहीं की। स्थिति यह है कि रात में यदि छत में सोना पड़े तो नींद आना कठिन है 

मदन लाल केसरवानी 

 नगर पालिका क्षेत्र में हमारा गांव आता है। यह सुनकर खुशी होती है, लेकिन अब तक समस्या को लेकर कोई कदम नहीं उठाया गया। गांव की नालियों में मच्छर पनप रहे हैं। तालाब की गंदगी भी इनका पोषण कर रही।

राशिद खान, समदा

 नगर पालिका ने दोबार फाङ्क्षगग कराया है, लेकिन यह फाङ्क्षगग केवल कुछ विशेष वार्ड एवं स्थानों तक ही सीमित है। अन्य कस्बे के लोगों को इस समस्या से जूझने के लिए छोड़ दिया गया है। नगर पालिका भी इस ओर ध्यान नहीं दे रही। 

आरिफ खान, समदा 

 गांव छोड़कर हम मंझनपुर कस्बे में परिवार समेत रहने लगे। यहां पर सुविधा तो कम है, लेकिन परेशानी ज्यादा है। हर काम के लिए लोगों के चक्कर लगाना पड़ता है। रात में मच्छरों के कारण सोना कठिन है। 

अनुज, भड़ेसर

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