कोरोना काल में हो गए थे बेरोजगार, हिम्मत और लगन से मोहम्मद हबीब बन गए बेकरी शॉप के मालिक Prayagraj news
बुलंद इरादों व अपनी लगन पर भरोसा करके वह लगातार लगे रहे। शुरुआती दौर में सिर्फ तोश व ब्रेड बनाया। उसकी क्वालिटी लोगों को पसंद आई तो डिमांड बढ़ गई। फिर खारी और नान खटाई बनानी शुरू कर दी।
प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना संक्रमण के चलते व्यवसायिक क्षेत्र में आए उथल-पुथल ने हुनरमंदों, मेहनत और लगन से काम करने वालों को एक नई राह दिखाई। कुछ लोगों ने थोड़ा जोखिम उठाकर अपने नए एक नया मुकाम बनाया। उनमें से एक मोहम्मद हबीब भी हैं। कोरोना काल मेें महाराष्ट्र में नौकरी छूटने पर आॢथक तंगी झेलते आखिर कब तक हाथ पर हाथ धरे बैठते। अपने हुनर का प्रदर्शन करते उसने मोहम्मद हबीब ने घर पर ही बेकरी का काम शुरू कर दिया। धीरे-धीरे कारोबार बढ़ता गया। आज उनकी बेकर में आधा दर्जन कारीगर काम करते हैं। उनकी बेकरी की बटर, पांव, खारी, तोश क्षेत्र के बाजारों में सप्लाई हो रही है। निरंतर उसकी डिमांड भी बढ़ रही है।
महाराष्ट्र में करते थे नौकरी
मऊआइमा इलाके के सराय ख्वाजा निवासी मोबीन अहमद के बेटे मोहम्मद हबीब महाराष्ट्र के सेवगांव स्थित एक बेकरी में काम करते थे। कोरोना संक्रमण के चलते बेकरी बंद होने के बाद काम छूटने पर गांव आ गए। कई महीने तक बेरोजगारी का दंश झेलने के बाद बीते अगस्त माह में उन्होंने घर पर ही बेकरी का काम शुरू किया। पहले तो उसके आसपास के ग्रामीणों ने उनका मजाक उड़ाया कि छोटे से गांव में बेकरी का कारोबार सफल नहीं होगा। लेकिन बुलंद इरादों व अपनी लगन पर भरोसा करके वह लगातार लगे रहे। शुरुआती दौर में सिर्फ तोश व ब्रेड बनाया। उसकी क्वालिटी लोगों को पसंद आई तो डिमांड बढ़ गई। फिर खारी और नान खटाई बनानी शुरू कर दी। अब इतना आर्डर है कि उनके कारखाने में आधा दर्जन कारीगर काम कर रहे हैं।
आसपास के बाजारों में कर रहे माल की आपूर्ति
हबीब बताते हैं कि मुझे भरोसा था कि मैं कुछ कर सकता हूं। लॉकडाउन ने मेरे भरोसे को धरातल पर उतार दिया। अब मेरी जमजम बेकरी के नाम से दुकान है। खाद्य विभाग में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया है। माल की सप्लाई मऊआइमा, बहरिया, सोरांव, रानीगंज आदि कस्बों और बाजारों में हो रही है।