प्रवासी कामगार : ईद पर नहीं आ पाते थे घर, लॉकडाउन में परिवार संग बांट रहे त्योहार की खुशी Prayagraj News
कामकाज में तेजी के चलते ईद पर्व पर भी इन कारीगरों को छुट्टियां मिलना नामुमकिन होता था। वहीं लॉकडाउन में देश के सभी कारोबार के साथ कल-कारखाने बंद होने से वह अपने घर लौट आए हैं।
प्रयागराज, जेएनएन। परिवार की जीविका चलाने के लिए परदेस में कामकाज करने वाले कामगारों ने लॉकडाउन में अपने घरों का रुख कर लिया है। स्वजनों के साथ ईद मनाने की लाख कोशिशों के बावजूद उनके अरमान पर पानी फिर जाता था। वहीं इस बार लॉकडाउन में हर छोटे-बड़े कारोबार और कल कारखाने बंद होने से कामगार आपने घर लौट आए हैं। जहां अरसे बाद स्वजन के साथ ईद मनाने का उन्हें मौका मिला है।
लालगाेपालगंज कस्बावासी देश के कोने-कोने में काम करते हैं
लालगाेपालगंज कस्बा समेत आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में कामगार देश के कोने-कोने में काम करने जाते हैं। इसमें मुंबई, सूरत, पुणे, चेन्नई, मद्रास, दिल्ली, पाली और बालोतरा शहर में उद्योग के विभिन्न क्षेत्रों में काम करते हैं। कामकाज में तेजी के चलते ईद पर्व पर भी इन कारीगरों को छुट्टियां मिलना नामुमकिन होता था। वहीं लॉकडाउन में देश के सभी कारोबार के साथ कल-कारखानों में ताला लग गया है। इसलिए प्रवासी कामगार अपने घरों के लिए निकल गए।
कल-कारखाने बंद होने से घर में ईद मनाने का मिला मौका
कस्बा के रजागंज मोहल्ला निवासी मो. शहजादे फ्राक के बेहतरीन डिजाइनर हैं, जो लॉकडाउन में मुंबई में फंसे थे। रमजान के शुरुआती दिनों में घर वापसी की है। खानजहानपुर मोहल्ला निवासी महमूद अहमद भिवंडी शहर में मुद्दतों से पावर लूम की कारीगरी कर रहे थे। लॉकडाउन में पावर लूम बंद हो गया। इससे घर पर उन्हें अपने बच्चों के बीच ईद का त्योहार मनाने का मौका मिला है। परवेज अख्तर, तबरेज, इफ्तिखार, हसीब, आसिफ, रिजवान, बच्चन जैसे दर्जनों श्रमिक अपने घर पहुंचे हैं। काम की फुर्सत न मिलने के कारण मुद्दतों बाद लॉकडाउन की बंदी में अपने परिवार के साथ ईद की खुशियां बांट सकेंगे।