RPF जवान ज्ञानचंद्र को याद कर साथियों की डबडबा जाती हैं आंखें, महिला को बचाने में दिया था बलिदान
आरपीएफ उपनिरीक्षक अमित द्विवेदी ने बताया कि अपने व्यक्तित्व की वजह से ज्ञानचंद्र विभाग के सहकर्मियों में लोकप्रिय थे। उनकी खासियत थी कि वे समय पालनता और अनुशासन को प्राथमिकता देते थे। इसके अलावा लोकगीत में भी उन्हें महारथ हासिल था।
प्रयागराज, जेएनएन। यूपी के कौशांबी में भरवारी रेलवे स्टेशन पर आत्महत्या करने आई महिला को बचाने में आरपीएफ के जवान ज्ञानचंंद्र ने बलिदान दे दिया था। इस बलिदान को याद कर उनके साथियों की आंखें डबडबा जाती हैं। घटना के बाद से उनके घर पर भी मातम है।
आरपीएफ उपनिरीक्षक अमित द्विवेदी ने बताया कि अपने व्यक्तित्व की वजह से ज्ञानचंद्र विभाग के सहकर्मियों में लोकप्रिय थे। उनकी खासियत थी कि वे समय पालनता और अनुशासन को प्राथमिकता देते थे। इसके अलावा लोकगीत में भी उन्हें महारथ हासिल था।
इंटरनेट मीडिया पर उनका एक गीत वायरल हुआ
हाल ही में इंटरनेट मीडिया पर उनका एक गीत वायरल हुआ। उपनिरीक्षक अमित ने बताया कि उनकी स्मृति में उनके गाए गीत चल गईला छोड़के हमके, जिंदगी भई सुनसान हो, जा हो चंदा ले आवा खबरिया... का वीडियो अपने फेसबुक अकाउंट पर टैग किया। देखते ही देखते वीडियो वायरल हो गया। बताया कि यह गीत लॉकडाउन के दौरान प्रयागराज से मानिकपुर स्कॉर्ट देने जाते वक्त श्रमिक स्पेशल में साथियों के आग्रह पर गाया था। वहीं, साथियों को घटना की जानकारी हुई तो उनकी आंखें डबडबा गईं। दूर रहकर ड्यूटी कर रहे जवानों ने उन्हें इंटरनेट मीडिया पर श्रद्धांजलि दी। सभी उनके व्यवहार और कर्मठता की ही चर्चा कर रहे थे।
सरकारी इमदाद मुहैया कराने को वरिष्ठ अफसर सक्रिय
फर्ज के लिए बलिदान देने वाले आरपीएफ के जवान ज्ञानचंद्र को विभाग की ओर से दी जाने वाली सहूलियत जल्द मिले, इसके लिए आरपीएफ के वरिष्ठ अफसर सक्रिय हैं। मृतक आश्रित कोटे से बड़े बेटे को नौकरी के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं। इसके अलावा बैंक खाते में जमा धनराशि और पॉलिसी का परिवार को लाभ दिलाने के लिए भी काम चल रहा है।