गीता की देह से ज्ञान बढ़ाएंगे मेडिकल छात्र-छात्राएं, परिवार के लोगों ने Prayagraj में मेडिकल कालेज को दान किया

हवेलिया के संगम विहार में रहने वाली गीता के पति संतोष चक्रवर्ती की काफी पहले ही मृत्यु हो चुकी है। 2011 में मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज में एनाटॉमी विभाग खुला जिसमें मेडिकल के छात्र-छात्राओं की प्रायोगिक पढ़ाई के लिए लोगों के मृत शरीर के दान की व्यवस्था की गई थी।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 08:00 AM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 08:19 AM (IST)
गीता की देह से ज्ञान बढ़ाएंगे मेडिकल छात्र-छात्राएं, परिवार के लोगों ने Prayagraj में मेडिकल कालेज को दान किया
सोमवार को 91 साल की उम्र में उनकी मृत्यु होने पर स्वजन ने गीता का शरीर दान कर दिया।

प्रयागराज, जेएनएन। हाड़ मांस के इस शरीर की बदौलत लोग अपने जीवन में न जाने कितनी समाज सेवा करते हैं लेकिन, प्राण निकलने के बाद भी यह शरीर किसी के काम आ सके यह सोच बिरले लोगों की ही हो सकती है। यही सोच थी हवेलिया, झूंसी की रहने वाली गीता चक्रवर्ती की। जिन्होंने नौ साल पहले अपने देहदान का निश्चय कर मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के एनाटॉमी विभाग में पंजीकरण करा लिया था। सोमवार को 91 साल की उम्र में उनकी मृत्यु होने पर स्वजन ने गीता का शरीर दान कर दिया।

विभाग को प्रायोगिक पढ़ाई के लिए अब तक मिल चुका है 71 मृत शरीर

हवेलिया के संगम विहार में रहने वाली गीता के पति संतोष चक्रवर्ती की काफी पहले ही मृत्यु हो चुकी है। 2011 में मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज में एनाटॉमी विभाग खुला जिसमें मेडिकल के छात्र-छात्राओं की प्रायोगिक पढ़ाई के लिए लोगों के मृत शरीर को दान लिए जाने की व्यवस्था की गई थी। गीता चक्रवर्ती ने भी अपना पंजीकरण करा लिया था। एनाटॉमी विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर डा. एके सिंह ने बताया कि गीता चक्रवर्ती के निधन की सोमवार को सूचना उनके स्वजन से मिली थी। उन्होंने डा. बादल सिंह, डा. निशिता, डा. कृष्णा, डा. ममता के साथ जाकर गीता चक्रवर्ती का पार्थिव शरीर ससम्मान दान प्राप्त किया। बताया कि जब से उनका विभाग खुला है तब से अब तक यह 71 वीं शरीर है जो प्राप्त की गई है।    

इनकी हैं चार संतानें

गीता की चार संतान हैं। दो बेटा व दो बेटी। बड़ा बेटा देवव्रत चक्रवर्ती प्राइवेट जॉब में हैं। छोटे बेटे देव आशीष इंटेलीजेंस ब्यूरो में दिल्ली में उच्च पदस्थ अधिकारी हैं। स्वजन के अनुसार, 2012 में उन्होंने देहदान की इच्छा जताई थी। इसके लिए मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल से संपर्क किया गया था। कुछ दिनों से बीमार रहने लगीं तो उन्होंने परिवार के अन्य लोगों को देहदान के बारे में बताते हुए वैसी ही इच्छा जाहिर की थी। गीता ने हमेशा महिलाओं के उत्थान व गरीब बच्चों की पढ़ाई लिखाई में सहयोग किया।

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