चिकित्सा सुविधाएं तो बहुत बढ़ी आखिर फिर क्यों प्रयागराज में बेड और आक्सीजन के लिए तरसे कोरोना के मरीज
सरकारी इलाज औऱ बेड के लिए जितनी अफरातफरी कोरोना की दूसरी लहर में हुई वैसी इससे पहले शहर में किसी ने नहीं देखी होगी। मरीजों की तादाद अचानक इतनी अधिक हो गई है जिसके चलते स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय और बेली का आक्सीजन लेवेल ही घट गया।
प्रयागराज, जेएनएन। कोविड संक्रमित और नॉन कोविड मरीजों में सरकारी इलाज औऱ बेड के लिए जितनी अफरातफरी कोरोना की दूसरी लहर में हुई, वैसी इससे पहले शहर में किसी ने नहीं देखी होगी। मरीजों की तादाद अचानक इतनी अधिक हो गई है जिसके चलते स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय और बेली का 'आक्सीजन लेवेल ही घट गया। और यह स्थिति तब आई जब कोरोना महामारी की पहली लहर के बाद से चिकित्सा संसाधन काफी तेज बढ़े। सरकार ने जीवन रक्षक उपकरणों की खरीद में अरबों रुपये खर्च कर दिए लेकिन ये सभी इंतजाम नाकाफी ही साबित हुए।
एसआरएन अस्पताल में इंतजाम
पहली लहर दूसरी लहर
220 बेड- 538 बेड
30 आइसीयू बेड 314 आइसीयू बेड
25 वेंटिलेटर- 50 वेंटिलेटर
59 बाइपेप मशीन- 74 बाइपेप मशीन
15 हाई फ्लो नेडेल कैनुला 35 हाईफ्लो नेडेल कैनुला
01 एलएमओ 20 हजार ली. क्षमता-02 एलएमओ
110 आक्सीजन सिलेंडर- 400 आक्सीजन सिलेंडर
मरीजों की तादाद बढ़ी तो मची हड़बड़ी
स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में पूरे अप्रैल माह तक अफरातफरी मची रही। प्रत्येक दिन संक्रमित बढऩे लगे तो लेवेल थ्री कोविड सेंटर में बेड की संख्या 220 से ज्यादा करनी पड़ गई। फिर तो प्रत्येक दिन बेड बढ़े और दूसरे वार्ड भी खोले गए। लेकिन सब धड़ाधड़ फुल होते गए। इसके बाद तो पुरानी बिल्डिंग में जनरल वार्डों को भी कोविड डेडिकेटेड वार्ड बनाने पड़ गए और एक समय ऐसा आया कि यह सब बेड भी फुल हो गए।
इंतजाम तो कर लिए, तैयारी नहीं की
एसआरएन अस्पताल में चिकित्सा संसाधनों को बढ़ाने के लिए मेडिकल कालेज से लेकर शासन तक पूरी ताकत झोंकी गई। जीवन रक्षक उपकरण खरीदने में ज्यादा रुचि ली गई लेकिन कोरोना की दूसरी लहर काफी खतरनाक आ रही है इसका पूर्व अनुमान होने के बावजूद तैयारी में अस्पताल पिछड़ गया।
प्राचार्य का है यह कहना
एसआरएन में पहली लहर के बाद से चिकित्सा संसाधन लगातार बढ़ाए गए। अस्पताल प्रशासन अपनी क्षमता के अनुसार पूरी तरह तैयार था लेकिन, कोरोना की लहर अचानक तेज हुई और नए संक्रमितों की संख्या प्रत्येक दिन 2000 को भी पार कर गई। इससे कुछ परेशानी आई लेकिन, हजारों लोग यहां से ठीक होकर भी गए।
डा. एसपी सिंह, प्रधानाचार्य, मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज