हाई कोर्ट में काज लिस्ट की नई व्यवस्था में कई सुविधाएं नदारद, अधिवक्ता हैं परेशान
हाई कोर्ट बार के पूर्व महासचिव जेबी सिंह का कहना है कि नई व्यवस्था उलझाऊ है। जो नये केस सुने नहीं जा सकेंगे वे दोबारा कब लिस्ट होंगे उसकी स्थिति साफ नहीं है। हर कोर्ट की लिस्ट या पूरी लिस्ट डाउनलोड करने में भारी दिक्कत हो रही है
जागरण संवाददाता, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाई कोर्ट की काज लिस्ट के नए प्रारूप, को लेकर अधिवक्ताओं में असमंजस की स्थिति बनी रही। पुराने सिस्टम की सुविधा न मिलने के कारण परेशान अधिवक्ता सुधार की मांग कर रहे हैं। नये प्रारूप में अधिवक्ता के नाम से केस सर्च की सुविधा पूरी लिस्ट डाउनलोड के बाद उपलब्ध है। ऐसा करने से मोबाइल फोन की मेमोरी भरने से काम करना कठिन होगा। पहले लिस्ट डाउनलोड किए बगैर अधिवक्ता के नाम से सूचीबद्ध केस सर्च किया जा सकता था।
पूर्व महासचिव जेबी सिंह का कहना है कि नई व्यवस्था उलझाऊ
एडवोकेट रोल से सर्च की व्यवस्था को लेकर सवाल उठ रहे हैं कि रोल 2012 में लागू किया गया। उससे पहले के मुकदमे कैसे देखे जा सकेंगे। हाई कोर्ट बार एसोसिएशन के पूर्व महासचिव जेबी सिंह का कहना है कि नई व्यवस्था उलझाऊ है। जो नये केस सुने नहीं जा सकेंगे, वे दोबारा कब लिस्ट होंगे उसकी स्थिति साफ नहीं है। अशोक सिंह का कहना है कि हर कोर्ट की लिस्ट या पूरी लिस्ट डाउनलोड करने में भारी दिक्कत हो रही है। अधिवक्ता के नाम से सर्च करने की व्यवस्था न होने से परेशानी झेलनी पड़ रही है। नरेंद्र कुमार चटर्जी ने कहा कि सूचीबद्ध मुकदमे की सूचना एसएमएस से देने में लापरवाही से केस अदम पैरवी में खारिज हो रहे हैं। कंबाइंड लिस्ट के बावजूद वीकली लिस्ट जारी की जा रही है। यदि केस की सुनवाई जारी है तो पूरक सूची बनानी ही होगी। ऐसे में कंबाइंड लिस्ट के औचित्य पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं। हाई कोर्ट प्रशासन द्वारा जारी नए प्रारूप में केस नंबर और संबंधित अधिवक्ताओं के नाम अलावा अब नोटिस नंबर और संबंधित जिले का नाम भी दर्ज है।