अपनी माटी के केले से कुपोषित बच्चे हो रहे तंदरूस्त, कौशांबी में चलाया गया है विशेष अभियान

कुपोषण को दूर करने में अपनी माटी का केला अधिक कारगर साबित हो रहा है। जागरण टीम ने कुपोषित बच्चों के अभिभावकों व चिकित्सकों से बात किया तो कुपोषण को दूर करने में केले का योगदान सामने आया है

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Mon, 16 Aug 2021 08:49 AM (IST) Updated:Mon, 16 Aug 2021 08:49 AM (IST)
अपनी माटी के केले से कुपोषित बच्चे हो रहे तंदरूस्त, कौशांबी में चलाया गया है विशेष अभियान
कुपोषित बच्चों को सुपोषित बनाने को संचालित है 1775 आंगनबाड़ी केंद्र

कौशांबी, शैलेंद्र द्विवेदी। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से कुपोषित बच्चों का सुपोषित बनाने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है। हर माह बच्चों को पौष्टिक आहार भी दिया जा रहा है, लेकिन कुपोषण को दूर करने में अपनी माटी का केला अधिक कारगर साबित हो रहा है। जागरण टीम ने कुपोषित बच्चों के अभिभावकों व चिकित्सकों से बात किया तो कुपोषण को दूर करने में केले का योगदान सामने आया है। कौशांबी का केला अब प्रयागराज, कानपुर, वाराणसी समेत पूरे पूर्वांचल और बिहार तक भेजा जा रहा है।

आंगनबाड़ी केंद्रों में पंजीकृत हैं एक लाख 77667 बच्चे

कुपोषण को दूर करने के लिए जिले में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से 1775 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। यहां पर एक लाख 77667 बच्चों का पंजीयन किया गया है। इन बच्चों के स्वास्थ्य पर आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं व स्वास्थ्य कर्मचारियों की पैनी नजर है। समय-समय पर अभियान चलाकर बच्चों का वजन किया जाता है और कुपोषित बच्चों को इलाज के लिए जिला अस्पताल में कुपोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया जाता है। इसके अलावा आंगनबाड़ी केंद्रों से बच्चों को पौष्टिक आहार भी मुफ्त में दिया जाता है, लेकिन कुछ अभिभावकों की माने तो कुपोषण को दूर करने के केले व दूध का सेवन अधिक कारगर है। विकास खंड चायल के मोहम्मद अफसर ने बताया कि उनकी बेटी जरीना कुपोषित थी। इलाज के साथ केले व दूध का सेवन बच्चे को कराया था। इसकी वजह से दो माह में लाल श्रेणी से बच्चा बाहर हो गया है। इसी प्रकार मूरतगंज के पप्पू ङ्क्षसह ने बताया कि अपना बेटी अंजनी कुपोषित था। दूध केले के सेवन से बच्चा स्वस्थ हो गया है। सिराथू के लवकुश ने अपनी बेटी श्रेया को भी केले दूध का सेवन कराए हैं। किसकी वजह से बच्चे के स्वास्थ्य में जल्दी सुधार हुआ है।

स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है केला

बाल रोग विशेषज्ञ डा. सुभाष गौड़ ने बताया कि केला कमजोरी को दूर करता है। इसमें भरपूर मात्रा में कार्बोहाइड्रेट, विटामिन ए, बी व बी-6, आयरन, कैल्शियम, पोटैशियम, मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। एनेमिक महिलाओं व कुपोषित बच्चों को केला दूध व केले से बने अन्य प्रकार व्यंजन के खाने की सलाह दी जाती है। इससे वह जल्दी स्वस्थ हो रहे हैं।

तीन वर्ष में सुपोषित हो गए 1951 बच्चे

कुपोषण को दूर करने के लिए जिले में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग की ओर से 1775 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं। यहां पर पंजीयन बच्चों का तीन माह के अंत्राल में वजह कराया जाता है। जिला कार्यक्रम अधिकारी सुरेश कुमार गुप्ता ने बताया कि वर्ष 2019-20 में कराए गए सर्वें में 5454 बच्चें कुपोषित थे। वर्ष 2020-21 में ये संख्या घटकर 4607 हुई। जुलाई माह में चलाए गए वजन अभियान में कुपोषित बच्चों की संख्या घटकर 3503 हो गई है। जिले में कुपोषण दर लगातार घट रहा है। केले के सेवन भी बच्चों के स्वस्थ बनाने में मददगार साबित हो रहा है।

पिछले 15 वर्ष से हो रही केले की खेती

जनपद की 80 फीसद आबादी कृषि पर आधारित है। आर्थिक आय को बढ़ाने के लिए खेती में बदलाव कर रहे हैं। जिला उद्यान अधिकारी सुरेंद्र राम भाष्कर ने बताया कि पिछले 15 वर्ष से जिले में केले की खेती हो रही है। 700 हेक्टेयर भूमि पर केले की बागवानी किसानों ने की है। इससे केले की खेती से किसानों को अच्छी आया हो रही है। विभाग द्वारा किसानों को पौधे व उर्वरक के लिए अनुदान भी दिया जाता है।

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