मैनपुरी छात्रा हत्याकांड: SIT की धीमी जांच से इलाहाबाद हाई कोर्ट नाराज, DGP को होना पड़ सकता है पेश

जनहित याचिका की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने प्रगति रिपोर्ट पर असंतोष जाहिर किया और कहा कि कोर्ट के आदेश के 20 दिन बाद संदिग्ध 170 लोगों का डीएनए जांच का सैंपल लिया गया।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 01:29 PM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 06:26 PM (IST)
मैनपुरी छात्रा हत्याकांड: SIT की धीमी जांच से इलाहाबाद हाई कोर्ट नाराज, DGP को होना पड़ सकता है पेश
25 अक्टूबर तक दें 170 संदिग्धोंकी डीएनए रिपोर्ट या डीजीपी हों हाजिर

प्रयागराज, विधि संवाददाता। मैनपुरी में जवाहर नवोदय विद्यालय की छात्रा की दुष्कर्म के बाद हत्या के बहुचर्चित मामले में सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट में राज्य सरकार की तरफ से विवेचना की सील बंद लिफाफे में प्रगति रिपोर्ट पेश की गई। जनहित याचिका की सुनवाई कर रही मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने प्रगति रिपोर्ट पर असंतोष जाहिर किया और कहा कि कोर्ट के आदेश के 20 दिन बाद संदिग्ध 170 लोगों का डीएनए जांच का सैंपल लिया गया। हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को अगली सुनवाई की तिथि 25 अक्टूबर तक डीएनए रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है और कहा कि यदि ऐसा नहीं होता तो डीजीपी कोर्ट में हाजिर हो। अब याचिका की सुनवाई 25 अक्टूबर को होगी।

दो साल से जांच मगर कोई नतीजा नहीं

इस मामले की विवेचना विशेष जांच दल (एसआइटी) कर रही है। मैनपुरी में दो साल पहले भोगांव के विद्यालय में छात्रा का शव फंदे पर लटका मिला था। मामले में तत्कालीन प्रधानाचार्य, वार्डन, एक छात्र और एक अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था। नवंबर में जांच में छात्रा के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई थी। लापरवाही बरतने पर तत्कालीन एसपी और डीएम को हटा दिया गया था। आइजी कानपुर मोहित अग्रवाल की अध्यक्षता में एसआइटी गठित की गई थी, लेकिन एसआइटी भी मामले में किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंच सकी। इस मामले को लेकर सामाजिक कार्यकर्ता महेंद्र प्रताप सिंह ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की जिस पर हाईकोर्ट ने बीते 15 सितंबर को डीजीपी को तलब किया था। जवाब से नाराजगी जताते हुए डीजीपी को एक दिन प्रयागराज में ही रोक लिया गया था। 16 सितंबर को हाई कोर्ट ने मामले की जांच छह हफ्ते में पूरा करने का आदेश दिया था। हाई कोर्ट के सख्त रुख के बाद एडीजी कानपुर भानू भाष्कर के नेतृत्व में नई एसआइटी गठित की गई है, जो जांच में जुटी है। सोमवार को एसआइटी ने अपनी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की। जांच की धीमी गति पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की।

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