महंत का बना था फर्जी ट्विटर हैंडल
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि केखिलाफ साजिश रची जा रही थी। उनके नाम से फर्जी टिवटर हैंडल बना लिया गया था।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज : अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के खिलाफ साजिश रची जा रही थी। महंत नरेंद्र गिरि के नाम का फर्जी ट्विटर हैंडल भी बनाया गया था। 'दैनिक जागरण' में छह सितंबर को खबर भी छपी थी। इसी दिन नरेंद्र गिरि ने एफआइआर दर्ज करवाई थी, लेकिन अब तक यह बात सामने नहीं आई है कि किसने ऐसा किया था।
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के पास स्मार्ट फोन था, लेकिन वह वाट्सएप, फेसबुक, ट्विटर का प्रयोग नहीं करते थे। इसके बावजूद 'महंत नरेंद्र गिरि' नाम से ट्विटर हैंडल चल रहा था। उसमें 291 फालोवर थे और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंर्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को फालो किया जा रहा था। कई ट्वीट भी किए गए थे। पांच सितंबर को इसी टिवटर हैंडल से महाराष्ट्र के पालघर में दो साल पहले जूना अखाड़ा के दो महात्माओं की पीट-पीट कर मारने और राजस्थान के करौली में पुजारी को जिदा जलाने की घटना की जांच से जुड़ा ट्वीट कर दोनों प्रदेशों की सरकारों से जानकारी मांगी गई। चेतावनी दी गई कि संतों को न्याय नहीं मिला तो बड़ी संख्या में राजस्थान व महाराष्ट्र कूच करेंगे। जब दैनिक जागरण ने महंत नरेंद्र गिरि को यह बताया तब उन्होंने कहा था कि वह ट्विटर नहीं चलाते, न ही उन्होंने किसी को टवीट करने के लिए अधिकृत किया है। किसके पास थे कितने मोबाइल नंबर, जांच
जागरण संवाददाता, प्रयागराज : महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध मौत मामले में मोबाइल नंबर खास हो गए हैं। महंत नरेंद्र गिरि के दो मोबाइल को पुलिस ने कब्जे में लिया है। आरोपित आनंद गिरि, आद्या तिवारी और संदीप तिवारी के मोबाइल को भी जांच के लिए कब्जे में लिया गया है। इससे इतर यह भी पता लगाया जा रहा है कि आरोपितों के पास पर्सनल मोबाइल नंबर कितने थे, जिससे वह चुनिंदा लोगों से बातचीत करते थे।
पुलिस सूत्रों के अनुसार आनंद गिरि के दो, आद्या और संदीप तिवारी के पास के एक-एक मोबाइल नंबर मिले हैं। हालांकि, इनके कुछ पर्सनल मोबाइल नंबर भी हैं, जिनके बारे में एसआइटी गोपनीय तरीके से पता लगा रही है। यह ऐसे नंबर हैं, जिनसे चुनिंदा लोगों से ही बातचीत की जाती थी। यह नंबर बेहद कम लोगों को ही पता था। ये नंबर कौन हैं और सिम किस मोबाइल में लगाकर इस्तेमाल किया जाता था, इसका पता लगाया जा रहा है। एसआइटी को उम्मीद है कि जांच में मोबाइल नंबरों से उनको काफी मदद मिलेगी।