Mahant Narendra Giri Death Case: नैनी जेल में आनंद गिरि का वायस सैंपल लेंगे एक्सपर्ट, सीबीआइ तैयार

Mahant Narendra Giri Death Case आनंद गिरि के वायस सैंपल और आडियो क्लिप और वायस रिकार्डिंग की जांच से इस केस में अहम वैज्ञानिक साक्ष्य मिलने की उम्मीद है। इसे अदालत में प्रस्तुत किया जाएगा। विशेषज्ञों के साथ सीबीआइ अधिकारी केंद्रीय कारागार नैनी जाकर अभियुक्त आनंद का वायस सैंपल लेंगे।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sun, 14 Nov 2021 12:57 PM (IST) Updated:Sun, 14 Nov 2021 12:57 PM (IST)
Mahant Narendra Giri Death Case: नैनी जेल में आनंद गिरि का वायस सैंपल लेंगे एक्सपर्ट, सीबीआइ तैयार
महंत नरेंद्र गिरि के मृत्यु प्रकरण में आरोपित आनंद गिरि का वास सेंपल लेने की सीबीआइ तैयारी कर रही है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्‍यक्ष महंत नरेंद्र गिरि मृत्यु मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) कर रही है। सीबीआइ टीम आत्महत्या के आरोपित आनंद गिरि का वायस सैंपल जल्द ही लेगी। सेंट्रल जेल नैनी में सैैंपल लिए जाने की तैयारी शुरू हो गई है। इसमें विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी, ताकि आडियो क्लिप से मिलान कराने में कोई तकनीकी दिक्कत न हो।

पांच लोगों का वायस सैंपल लिया गया

सीबीआइ के अधिकारियों ने पूर्व में आनंद गिरि का मोबाइल अपने कब्जे में लेकर जांच की है। इसमें कई आडियो क्लिप व वायस रिकार्डिंग ऐसी मिली हैैं जिसमें आनंद गिरि की अपने गुरु महंत नरेंद्र के बारे में कई तरह की बातें कह रहे हैैं। अलग-अलग समय की क्लिप हैैं यह। जांच में कुछ तथ्य मिले हैैं। इसी आधार पर पहले उन लोगों से पूछताछ की गई, जिनसे आनंद गिरि ने बात की थी। फिर ऐसे पांच लोगों का वायस सैंपल लिया गया।

अहम वैज्ञानिक साक्ष्‍य मिलने की उम्‍मीद

आनंद गिरि के वायस सैंपल और आडियो क्लिप और वायस रिकार्डिंग की जांच से इस केस में अहम वैज्ञानिक साक्ष्य मिलने की उम्मीद है। इसे अदालत में प्रस्तुत किया जाएगा। कहा जा रहा है कि एक-दो दिन में विशेषज्ञों के साथ सीबीआइ के अधिकारी केंद्रीय कारागार नैनी जाकर अभियुक्त आनंद का वायस सैंपल लेंगे।

कोर्ट ने जांच एजेंसी को सैंपल लेने की दी थी अनुमति

शुक्रवार को कोर्ट ने जांच एजेंसी को वायस सैंपल लेने की अनुमति प्रदान की थी। हालांकि इससे पहले आरोपित आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और उसके बेटे संदीप तिवारी का पालीग्राफी टेस्ट कराने की अर्जी सीबीआइ की तरफ से दी गई थी लेकिन अदालत के सामने आरोपितों ने इसके लिए हामी नहीं भरी थी। इसलिए पालीग्राफी टेस्ट नहीं हो सका था।

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