Mahant Narendra Giri Death Case: सीबीआइ के सामने आराेपितों के खिलाफ साक्ष्य जुटाना मुश्किल

Mahant Narendra Giri Death Case महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्‍ध मौत के आरोपितों आनंद गिरि आद्या प्रसाद तिवारी और उसके पुत्र संदीप तिवारी का पालीग्राफ टेस्ट कराने को लेकर सीबीआइ को कोर्ट से झटका लगा है। इसके बाद जांच अधिकारियों ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क साधा है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 04:05 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 04:05 PM (IST)
Mahant Narendra Giri Death Case: सीबीआइ के सामने आराेपितों के खिलाफ साक्ष्य जुटाना मुश्किल
महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्‍ध मौत की जांच कर रही सीबीआइ अदालत से झटका लगने पर असमंजस में है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु की जांच कर रही केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआइ) के सामने मुश्किल पेश आने लगी है। महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्‍ध मौत मामले के अभियुक्त आनंद गिरि, बांध स्थित लेटे हनुमान मंदिर के पूर्व पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी और उसके बेटे संदीप तिवारी के विरुद्ध साक्ष्य जुटाने को लेकर जांच एजेंसी के सामने कई सवाल खड़े हो गए हैं। ऐसे में अब विवेचना को आगे बढ़ाने के लिए सीबीआइ नया रास्ता खोजने में जुट गई है।

आरोपितों का पालीग्राफ टेस्‍ट कराने को लेकर सीबीआइ को कोर्ट से झटका

महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्‍ध मौत के आरोपितों आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और उसके पुत्र संदीप तिवारी का पालीग्राफ टेस्ट कराने को लेकर सीबीआइ को कोर्ट से झटका लगा है। इसके बाद जांच अधिकारियों ने अपने वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क साधा है, ताकि आगे की जांच को लेकर दिशा तय की जा सके। यह भी कहा जा रहा है कि सीबीआइ के अधिकार फिर कोर्ट जाएंगे और अभियोजन से सलाह लेंगे। इसके बाद पालीग्राफ टेस्ट को लेकर कानूनी रूप से दूसरा विकल्प तलाशेंगे।

महंत की संदिग्‍ध मौत मामले में जांच कर रही है सीबीआइ

सूत्रों का कहना है कि अभियुक्त आनंद गिरि ने अदालत के सामने कहा है कि यदि सीबीआइ सभी का पालीग्राफ टेस्ट कराएगी तब वह अपनी सहमति दे सकते हैं। इस आधार पर अधिकारी उन लोगों के नाम पर विचार कर रही हैं, जिनका पालीग्राफ टेस्ट कराने से विवेचना में मदद मिल सकती है। हालांकि उम्मीद की जा रही थी कि तीनों आरोपितों का पालीग्राफ टेस्ट पर सीबीआइ को कथित वीडियो से लेकर कई अन्य जानकारी मिल सकती थी, जो अब नहीं मिल पा रही है। ऐसी दशा में जांच एजेंसी के सामने घटना से जुड़े अहम साक्ष्य जुटाना थोड़ा मुश्किल हो गया है।

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