महंत बलवीर गिरि ने संभाला दायित्व, पंच परमेश्वर के साथ किया परामर्श

श्री मठ बाघम्बरी गद्दी के 24 वें महंत बलवीर गिरि ने बुधवार को औपचारिक रूप से व्यवस्था को अपना लिया।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 07 Oct 2021 12:54 AM (IST) Updated:Thu, 07 Oct 2021 12:54 AM (IST)
महंत बलवीर गिरि ने संभाला दायित्व, पंच परमेश्वर के साथ किया परामर्श
महंत बलवीर गिरि ने संभाला दायित्व, पंच परमेश्वर के साथ किया परामर्श

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : श्री मठ बाघम्बरी गद्दी के 24 वें महंत बलवीर गिरि ने बुधवार को औपचारिक रूप से अपना दायित्व संभाल लिया। सुबह मठ स्थित बाघम्बेश्वर महादेव का अभिषेक व पूजन किया। फिर गुरु नरेंद्र गिरि की समाधि को नमन कर मठ के सेवादारों से उनके कामकाज की जानकारी ली, परंपरा समझी। गुरु नरेंद्र गिरि के किन-किन लोगों से संबंध थे? मठ में कैसे लोगों का अक्सर आना-जाना होता था? उनकी मृत्यु के बाद वह लोग परिसर में आए अथवा नहीं? इस बात की जानकारी ली।

मंगलवार को बलवीर गिरि का महंत के रूप में पट्टाभिषेक हुआ था। बुधवार को कामकाज संभालने के बाद उन्होंने श्री निरंजनी अखाड़ा के पंच परमेश्वरों व अन्य पदाधिकारियों के साथ मठ के संचालन के संबंध में घंटों चर्चा की। मठ के किस शहर में कितने आश्रम, मंदिर व विद्यालय हैं, उसका काम कैसे चल रहा है? कहां कौन है? इसकी जानकारी ली। अन्य बातों की भी समीक्षा हुई। अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रवींद्र पुरी का कहना था कि हमें मिलकर मठ की संपत्ति को संरक्षित करने के साथ उसका विस्तार करना है। संपत्तियों का दुरुपयोग नहीं होने पाए, इसलिए अखाड़ा हर गतिविधियों पर पैनी नजर रखेगा। आपसी समन्वय बनाकर काम किया जाएगा। इस पर सहमति रही।

नहीं तय हुआ सचिव का नाम

महंत नरेंद्र गिरि की मृत्यु के बाद श्रीनिरंजनी अखाड़ा के सचिव का भी एक पद रिक्त हो गया है। नरेंद्र गिरि श्री निरंजनी अखाड़े के सचिव भी थे। उनकी जगह नया किसको सचिव बनाया जाय? इस पर भी चर्चा हुई, लेकिन किसी नाम पर सहमति नहीं बन सकी। कहा जा रहा है कि रवींद्र पुरी सहित तमाम महात्मा हरिद्वार चले गए हैं। अब सचिव के नाम की घोषणा हरिद्वार में ही की जाएगी। परंपरा, संतों की मंशा का सम्मान : बलवीर

नए महंत बलवीर गिरि का कहना है कि बेहतर कार्य करना उनकी प्राथमिकता है। परंपरा व संतों की मंशा का सम्मान करते हुए समस्त कार्य किए जाएंगे। बोले, कुछ दिनों में मठ का सारा काम समझ लूंगा, फिर गुरु की मंशा के अनुरूप उसे आगे बढ़ाऊंगा। मठ में पहले की तरह संतों व श्रद्धालुओं को सम्मान मिलेगा। कहीं दिक्कत आएगी तो श्रीनिरंजनी अखाड़ा के वरिष्ठ महात्माओं से राय लेकर उसे दूर करुंगा।

chat bot
आपका साथी