'महाभारत अनुसंधान केंद्र' भी बढ़ाएगा प्रयागराज का मान

प्रयागराज के हंडिया स्थित लाक्षागृह में महाभारत अनुसंधान केंद्र बनाने की तैयारी चल रही है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 24 Sep 2020 08:41 PM (IST) Updated:Thu, 24 Sep 2020 08:41 PM (IST)
'महाभारत अनुसंधान केंद्र' भी बढ़ाएगा प्रयागराज का मान
'महाभारत अनुसंधान केंद्र' भी बढ़ाएगा प्रयागराज का मान

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को तीर्थराज प्रयाग में जल्द ही महाभारत कालीन वैभव भी दिखेगा। इसके लिए हंडिया स्थित लाक्षागृह में 'महाभारत अनुसंधान केंद्र' बनाने की तैयारी है। कार्यो के लिए 79.27 लाख रुपये का प्रस्ताव बनाया गया है। माना जा रहा है कि अनुसंधान केंद्र से शोधार्थियों को काफी लाभ मिलेगा।

पौराणिक मान्यता के मुताबिक महाभारत काल में गंगा तट पर लाख, परसिंडा, मूंज, चर्बी, बांस आदि से महल निर्मित किया गया था। यह अत्यंत ज्वलनशील था। उसका नाम 'शिव भवन' लाक्षागृह रखा गया। पांडवों को साजिश के तहत कुलदेव भगवान शिव के अनुष्ठान के लिए यहां भेजा गया। सबको जिंदा जलाकर मारने की साजिश रची। आग लगाए जाने से पहले ही पांडव यहां बचकर निकल गए।

गंगा सर्किट से जुड़ेगा स्थल

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पर्यटन विभाग को निर्देश दिया है कि लाक्षागृह को मुख्यमंत्री पर्यटन प्रोत्साहन योजना व गंगा सर्किट विकास योजना से जोड़ा जाय। इसी क्रम में यहां महाभारत अनुसंधान केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई गई है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य जगद्गुरु स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती मानते हैं कि हंडिया स्थित महाभारतकालीन लाक्षागृह के विकास से प्रयागराज की ख्याति बढ़ेगी। उप पर्यटन निदेशक दिनेश कुमार के अनुसार अनुसंधान केंद्र की दिशा में तेजी से काम चल रहा है।

अनुसंधान केंद्र में यह होगा खास

महाभारत अनुसंधान केंद्र में कौरव व पांडवों के बचपन से लेकर गुरुकुल में शिक्षा प्राप्त करने, कुरुक्षेत्र में श्रीकृष्ण के उपदेश और युद्ध से जुड़ी जानकारी तो होगी ही, यह भी बताया जाएगा कि तब कैसे हथियार होते थे और युद्ध में उनका प्रयोग किस तरह होता था। पांडव लाक्षागृह तक कैसे पहुंचे? वनवास का मार्ग क्या था।

कुंभ से पहले होना था निर्माण

धर्मक्षेत्र लाक्षागृह पर्यटन स्थल विकास समिति के संस्थापक ओंकारनाथ त्रिपाठी बताते हैं कि भारतीय महाभारत अनुसंधान केंद्र कुंभ 2019 से पहले ही बनकर तैयार हो जाना था, पर कतिपय वजहों से ऐसा नहीं हो सका। यहां पुस्तकालय, संग्रहालय भवन, अर्जुन मंच, सीढि़यां, गंगा घाट तैयार हो चुका है। अर्से से यह स्थल पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है।

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