Magh Mela 2021 : प्रयागराज में संगम तट पर पांच सेक्टरों में सज गया तंबुओं का शहर
माघ मेले में आए हुए श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो इसलिए इसे अलग-अलग सेक्टर में बांट कर व्यवस्थित किया गया है। फिलहाल पौष पूर्णिमा से मेले अपने रौ में आएगा और महीने भर तक यहां चहल-पहल रहेगी।
प्रयागराज, जेएनएन। संगम तट पर तंबुओं का शहर बस गया है। पांच सेक्टर में बसाए गए तंबुओं के शहर में कल्पवासी आ गए हैं। कोई परिवार सहित तो कोई अकेले, जप तप के लिए तंबुओं में ठिकाना बना लिया है। कल्पवासियों ने अपने कैंपों मेें जौ की बुआई कर दिए हैं। गुरुवार को संगम स्नान के साथ ही इनका कल्पवास शुरू हो जाएगा, जो महीने भर चलेगा। यहां आए अधिकतर कल्पवासी झूंसी की तरफ बसाए गए हैं। मेले में आए श्रद्धालुओं को कोई परेशानी न हो, इसलिए इसे अलग-अलग सेक्टर में बांट कर व्यवस्थित किया गया है। फिलहाल पौष पूर्णिमा से मेले अपने रौ में आएगा और महीने भर तक यहां चहल-पहल रहेगी।
सेक्टर -एक
शहर की तरह सेक्टर एक बसाया गया है। इसका अधिकतर हिस्सा परेड मैदान और फिर संगम नोज का क्षेत्र का है। यहां परेड मैदान पर वाहनों की पार्किंग होगी। जबकि हनुमान मंदिर से लेकर संगम नोज तक संस्थाओं को बसाया गया है। इसमें सरकारी संस्थाओं के अलावा कुछ संतों और कल्पवासियों को भी बसाया गया हैं। परेड में त्रिवेणी मार्ग पर झूला, मीना बाजार और फूड पार्क की दुकानें लगवाई गई हैं।
सेक्टर-दो
माघ मेला बसने से पहले हुए कटान के चलते सेक्टर दो का क्षेत्र इस बार छोटा हो गया है। सेक्टर दो सिटी साइड त्रिवेणी बांध के नीचे हैं। इधर सरकारी संस्थाओं के अलावा कल्पवासियों को बसाया गया है।
सेक्टर-तीन
झूंसी की तरफ बसाए गए सेक्टर तीन में कल्पवासियों और संतों का ठिकाना है। इसमें त्रिवेणी रोड पर बड़े संतों के टेंट लगे हैं तो महावीर मार्ग पर सतुआ बाबा के अलावा कल्पवासियों को जगह दी गई हैं।
सेक्टर-चार
झूंसी की तरफ बसाए गए सेक्टर चार में इस बार जगह ज्यादा मिली है। यहां पर अधिकतर कल्पवासी बसाए गए हैं। कल्पवासियों की खरीदारी के लिए बीच-बीच में वेंडर जोन भी बनाए गए हैं।
सेक्टर पांच
शास्त्री ब्रिज से उत्तर दिशा में झूंसी की तरफ आखिर में सेक्टर पांच बसाया गया है। यहां पर दंडी बाड़ा और आचार्य बाड़ा के संतों को बसाया गया है। इन सेक्टर में जाने के लिए ओल्ड जीटी पुल और गंगोली शिवाला पुल बनाया गया है।
प्रमुख तथ्य
- 640 हेक्टेयर में बसाया गया पूरा मेला
- 14500 शौचालयों का निर्माण किया गया है
- 2200 संस्थाओं को दी गई हैं सुविधाएं
- 06 पुल बनाए गए आवागमन के लिए
- 22 सड़कें बनाई गई हैं आवागमन से लिए