Mukhtar Ansari Case: माफिया मुख्तार अंसारी की बढ़ी मुश्किल, भाइयों ने वापस ली जमानत

Mukhtar Ansari Case एमपी एमएलए कोर्ट में मुख्तार के सगे भाई मोहम्मद अकबर व मो. अकमल ने अर्जी देकर कहा कि उनको निजी कारणों से बाहर जाना है। इसलिए वह मुख्तार की जमानत वापस करना चाहते हैं। अदालत ने जमानत वापसी की अर्जी मंजूर कर ली।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 14 Sep 2021 08:24 AM (IST) Updated:Tue, 14 Sep 2021 08:24 AM (IST)
Mukhtar Ansari Case: माफिया मुख्तार अंसारी की बढ़ी मुश्किल, भाइयों ने वापस ली जमानत
माफिया मुख्‍तार अंसारी की जमानत को उसके भाइयों ने एमपी एमएलए कोर्ट में वापस ले ली है।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। बांदा जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी की मुश्किल बढ़ गई है। जानलेवा हमले के मुकदमे में जिन लोगों ने मुख्तार की जमानत कराई थी, अब उन्होंने जमानत वापस ले ली है। इस पर अदालत ने अभियुक्त मुख्तार को फिर से अभिरक्षा में लेने का आदेश दिया है। मुख्तार अंसारी के खिलाफ वर्ष 2009 में गाजीपुर में जानलेवा हमला और आपराधिक षडयंत्र का मुकदमा दर्ज हुआ था। उस मुकदमे में 28 अगस्त 2010 को हाई कोर्ट से जमानत मिली थी।

मुख्‍तार के सगे भाइयों ने यह कहकर जमानत वापस ली

एमपी एमएलए कोर्ट में मुख्तार के सगे भाई मोहम्मद अकबर व मो. अकमल ने अर्जी देकर कहा कि उनको निजी कारणों से बाहर जाना है। इसलिए वह मुख्तार की जमानत वापस करना चाहते हैं। अदालत ने जमानत वापसी की अर्जी मंजूर कर ली। मामले की सुनवाई कर रहे एमपी एमएलए कोर्ट के स्पेशल जज आलोक कुमार श्रीवास्तव ने आदेश दिया है कि मुख्तार का कस्टडी वारंट बनाया जाए। आगामी 22 सितंबर को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए अदालत में अदालत को पेश किया जाए। मुकदमा अभी साक्ष्य के स्तर पर विचाराधीन है। कोर्ट ने अग्रिम साक्ष्य को भी प्रस्तुत करने का आदेश दिया। माफिया दूसरे मुकदमे में पहले से ही बांदा जेल में निरुद्ध है।

चेक बाउंस के मामले में छह माह की कैद

चेक बाउंस के मुकदमे में विशेष न्यायाधीश नरेंद्र देव मिश्रा ने सभाजीत पाल को छह माह की कैद व पांच लाख अर्थदंड से दंडित किया है। अर्थदंड जमा होने पर उसे पीडि़त पक्ष को देने का भी आदेश हुआ है। मुकदमा वादी प्रवीण कुमार तिवारी का आरोप है कि भदोही निवासी सभाजीत कपड़े का कारोबारी है। उनसे कपड़ा खरीदने के बाद सभाजीत ने एक चेक दिया था। बैंक में जमा करने पर बाउंस हो गया। पीडि़त ने आरोपित को नोटिस भेजा, लेकिन पैसा नहीं मिला। तब उसने कोर्ट में चेक बाउंस का मुकदमा किया।

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