माधव भक्तों ने विधि-विधान और श्रद्धाभाव से की परिक्रमा Prayagraj News
स्वामी अशोक जी महाराज ने कहा कि द्वादश माधव की परिक्रमा प्रयागराज की पहचान है। मुगलों ने सनातन संस्कृति व परंपरा को खत्म करने की मंशा से परिक्रमा को जबरन बंद कराया था। लंबे समय तक परिक्रमा बंद रहने से अधिक लोग इससे अनभिज्ञ थे।
प्रयागराज,जेएनएन। तीर्थराज प्रयाग की धार्मिक परंपरा व पौराणिक महत्व की प्रतीक द्वादश माधव की परिक्रमा को लेकर हर किसी में खासा उत्साह है। संत व भक्त श्रद्धाभाव से ओतप्रोत होकर परिक्रमा कर रहे हैं। परिक्रमा मार्ग में आने वाली हर मंदिर में दर्शन-पूजन करके उसके महत्व को लोगों को बताया जा रहा है। पांच दिवसीय परिक्रमा के तीसरे दिन मंगलवार को शंख माधव व संकष्टहर माधव का दर्शन-पूजन हुआ। परिक्रमा यात्रा को पुनस्र्थापित करने वाले स्वामी अशोक जी महाराज के नेतृत्व में भक्त चौफटका स्थित अनंत माधव मंदिर पहुंचे। वहां मंत्रोच्चार के बीच पूजन करके यात्रा आरंभ की गई। विभिन्न मार्गों से होते हुए यात्रा शंख माधव मंदिर पहुंची। यहां पूजन करने के बाद भक्तों का कारवां संकष्टहर माधव पहुंचा। विधि-विधान से पूजन करके यात्रा को विराम दिया गया।
परिक्रमा प्रयागराज की पहचान है
स्वामी अशोक जी महाराज ने कहा कि द्वादश माधव की परिक्रमा प्रयागराज की पहचान है। मुगलों ने सनातन संस्कृति व परंपरा को खत्म करने की मंशा से परिक्रमा को जबरन बंद कराया था। लंबे समय तक परिक्रमा बंद रहने से अधिक लोग इससे अनभिज्ञ थे। यही कारण है कि पुन: परिक्रमा शुरू करके लोगों को सनातन परंपरा से जोड़ा जा रहा है। कहा कि सच्चे हृदय से परिक्रमा करने वालों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। कलियुग में माधव जी की यात्रा व दर्शन फलदाई व लाभप्रद है। परिक्रमा यात्रा में महंत अवधेश दास, फलाहारी बाबा, महंत आदित्यनाथ, विष्णु पांडेय, प्रवक्ता तीर्थराज पांडेय 'बच्चा भैयाÓ आदि भक्त शामिल रहे।