Love Jihad Law in UP: इलाहाबाद हाई कोर्ट में आज नहीं हुई धर्मांतरण अध्यादेश मामले पर सुनवाई, अब दो फरवरी को होगी

Love Jihad Law in UP सुप्रीम कोर्ट में योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से धर्मांतरण कानून लागू होने के मामले पर याचिका दी गई है। इसी के कारण हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई को आज टाल दिया और अब 2 फरवरी को केस सुना जाएगा।

By Dharmendra PandeyEdited By: Publish:Mon, 25 Jan 2021 01:14 PM (IST) Updated:Mon, 25 Jan 2021 01:14 PM (IST)
Love Jihad Law in UP: इलाहाबाद हाई कोर्ट में आज नहीं हुई धर्मांतरण अध्यादेश मामले पर सुनवाई, अब दो फरवरी को होगी
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई को आज टाल दिया और अब 2 फरवरी को केस सुना जाएगा।

प्रयागराज, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण कानून लागू होने के मामले को इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई है। कई याचिकाओं पर सुनवाई के लिए कोर्ट ने आज यानी 25 जनवरी की तारीख तय की थी, लेकिन आज सुनवाई नहीं हो सकी। इस प्रकरण पर अब दो फरवरी को सुनवाई होगी।

सुप्रीम कोर्ट में योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से धर्मांतरण कानून लागू होने के मामले पर याचिका दी गई है। जिसमें सभी मामलों को सुने जाने की अपील हुई है। इसी के कारण हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई को आज टाल दिया और अब 2 फरवरी को केस सुना जाएगा। इस मामले में पहले प्रदेश सरकार की ओर से कहा गया था कि इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो रही है, ऐसे में हाईकोर्ट यहां दायर याचिकाओं को रद कर इस मसले पर पहले 18 जनवरी को सुनवाई हुई थी, तब हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करने से इन्कार किया और सुनवाई के लिए 25 जनवरी तक का वक्त दिया था।

प्रदेश में पहचान बदलकर लव जिहाद के जरिये धर्मांतरण यानी लव जेहाद प्रतिबंधित करने के प्रदेश में बने कानून की वैधता की चुनौती याचिकाओं की सुनवाई अब दो फरवरी को होगी। सभी याचिकाओं की एक साथ सुनवाई की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में लंबित होने के कारण कोर्ट ने यह आदेश दिया है।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर तथा न्यायमूर्ति एसएस शमशेरी की खंडपीठ ने दिया है। कोर्ट को बताया गया कि सभी याचिकाओं को स्थानांतरित कर एक साथ सुनने की अर्जी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गयी है। जिसकी अब शीघ्र सुनवाई होगी, इसलिए अर्जी तय होने तक सुनवाई स्थगित की जाय। जिस पर सुनवाई स्थगित कर दी गयी है। राज्य सरकार की तरफ से याचिका पर जवाबी हलफनामा दाखिल किया जा चुका है।

कोर्ट में दायर याचिकाओं में मतांतरण विरोधी अध्यादेश को संविधान के खिलाफ और गैर जरूरी बताते हुए चुनौती दी गई है। याची का कहना है कि यह कानून व्यक्ति के अपनी पसंद व शर्तों पर किसी भी व्यक्ति के साथ रहने व पंथ अपनाने के मूल अधिकारों का उल्लंघन करता है। इसे रद किया जाय, क्योंकि इस कानून का दुरुपयोग किया जा सकता है। राज्य सरकार का कहना है शादी के लिए मत परिवर्तन से कानून व्यवस्था व सामाजिक स्थिति खराब न हो इसके लिए कानून लाया गया है। जो पूरी तरह से संविधान सम्मत है। इससे किसी के मूल अधिकारों का हनन नहीं होता। वरन नागरिक अधिकारों को संरक्षण प्रदान किया गया है। इससे छल-छद्म के जरिये मतांतरण पर रोक लगाने की व्यवस्था की गयी है। 

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