देवोत्थान एकादशी पर जाग्रत होंगे भगवान विष्णु, बजेगी शहनाई
कार्तिक शुक्लपक्ष की देवोत्थान (देवउठनी) एकादशी 25 नवंबर को है। चार माह से शयन कर रहे भगवान विष्णु इस तिथि पर जाग्रत हो जाएंगे। इसके ठीक बाद मांगलिक कार्य शुरू हो जाएंगे।
जागरण संवाददाता, प्रयागराज : कार्तिक शुक्लपक्ष की देवोत्थान (देवउठनी) एकादशी 25 नवंबर को है। इसी तिथि पर चार माह से शयन कर रहे भगवान विष्णु जाग्रत हो जाएंगे। इसके ठीक बाद शुभ व मांगलिक कार्य पुन: आरंभ हो जाएंगे। घरों से लेकर शादीघरों तक शहनाई गूंजेगी। गृहप्रवेश, यज्ञोपवीत, नामकरण, नए प्रतिष्ठान का शुभारंभ जैसे कार्य होने लगेंगे। भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि से शयन पर हैं। इसी कारण शुभ व मांगलिक कार्य बंद हैं।
ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी बताते हैं कि देवोत्थान एकादशी पर भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक करके विधि-विधान से पूजन करना चाहिए। उन्हें मिष्ठान, सिंघाड़ा, गन्ने का रस अर्पित करके शंख, घंटा-घड़ियाल बजाकर खुशी मनाना चाहिए। साथ ही भगवान शालिग्राम से तुलसी विवाह कराना चाहिए। तुलसी का शालिग्राम से विवाह कराने वाले भगवान विष्णु की कृपा के पात्र बनते हैं। जिन दंपत्तियों के कन्या नहीं हैं वे तुलसी को कन्यादान करके पुण्य अर्पित कर सकते हैं।
---- देवोत्थान एकादशी पर यह न करें
पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि देवोत्थान एकादशी पर सतर्कता बरतनी चाहिए। गोभी, पालक, शलजम व चावल का सेवन न करें। बाल और नाखून नहीं कटवाने चाहिए। किसी पेड़-पौधों की पत्तियां न तोड़े, भूल से भी किसी को कड़वी बातें न बोलें। दूसरे से मिले भोजन को ग्रहण न करें।
---- देवोत्थान एकादशी पर ऐसा करें
आचार्य सुधाकर शास्त्री बताते हैं कि देवोत्थान एकादशी के दिन भगवान विष्णु की मूर्ति के सामने दीपक अवश्य जलाना चाहिए। भगवान विष्णु के नाम का कीर्तन भी करना चाहिए। निर्जल व्रत रखना चाहिए। किसी गरीब और गाय को भोजन अवश्य कराना चाहिए।