कोरोना से जान गंवाने वाले रचनाकारों को अनोखे अंदाज में साहित्यिक पत्रिका गुफ्तगू देगी श्रद्धांजलि

साहित्यिक पत्रिका गुफ्तगू ने उन कवियों और शायरों को श्रद्धांजलि देने का निर्णय लिया है जिनका निधन कोरोना वायरस संक्रमण से हुआ है। इस पत्रिका में ऐसे रचनाकारों की जीवनी को प्रकाशित किया जाएगा। इसके माध्‍यम से इन कवियों और शायरों की अहमियत से लोगों को रू‍बरू कराया जाएगा।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Wed, 16 Jun 2021 12:17 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 05:14 PM (IST)
कोरोना से जान गंवाने वाले रचनाकारों को अनोखे अंदाज में साहित्यिक पत्रिका गुफ्तगू देगी श्रद्धांजलि
पत्रिका गुफ्तगू में कोरोना से जिन कवियों और शायरों का निधन हुआ है, उन्‍हें अनोखे ढंग से श्रद्धांजलि दी जाएगी।

प्रयागराज, जेएनएन। कोरोना संक्रमण काल में अनेक रचनाकार असमय दुनिया छोड़कर चले गए। कोरोना से लड़ते-लड़ते जान गवाने वाले रचनाकरों की अहमियत का एहसास साहित्यिक पत्रिका गुफ्तगू कराएगी। गुफ्तगू में राजाराम शुक्ल, प्रो सुरेश चंद्र द्विवेदी, कलीम उर्फी, फजले हसनैन, अशोक स्नेही सहित तमाम शायरों, कवियों व साहित्यकारों की जीवनी प्रकाशित की जाएगी।

रचनाकार जो हमें छोड़ गए, अब बची हैं उनकी यादें

राजाराम शुक्ल

15 मई को साहित्यकार राजा राम शुक्ल का निधन हो गया। 30 जनवरी 1934 को प्रतापगढ़ जिले के खजुरनी गांव में जन्मे राजा राम शुक्ल दारागंज में रहते थे, इन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातक किया था। उनका लिखा हुआ नाटक ‘अब तो नींद खुले’ और खंड काव्य ‘कैवल्य’ बिहार के हाईस्कूल पाठ्यक्रम में शामिल है। उनकी प्रकाशित पुस्तकों में कैवल्य (प्रबंध काव्य), अतृप्त (उपन्यास), गंगायतन (महाकाव्य), मारिषा (प्रबंध काव्य), विद्यार्थी अनुशासन (संकलन), प्रेरणापुरुष सुमित्रानंदन पंत (संस्मरण समीक्षा), अब तो नींद खुले (ऐतिहासिक नाटक), पंखुरी (अवधी काव्य संग्रह) और चिरंतन सुभाष (प्रबंध काव्य) हैं।

प्रो. सुरेश चंद्र द्विवेदी

मशहूर साहित्यकार और टीम गुफ्तगू के सक्रिय साथी प्रो. सुरेश चंद्र द्विवेदी का 13 मई को निधन हो गया। 29 मार्च 1952 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले जन्मे प्रो. द्विवेदी वर्ष 2011 से 2013 तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अंग्रेजी के विभागाध्यक्ष थे। अंग्रेजी, हिंदी और भोजपुरी में वे लेखन करते थे। उनकी लगभग एक दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं, जिनमें ‘माउथ आफ ट्रुथ, ‘प्रेसपेक्टिव आफ इजैकिला’, ‘कृष्णा श्रीनिवासरू ए पोएट आफ टोटल एक्सपीरियंस’, ‘द पोयट्री आफ राबर्ट फ्रोस्ट’ आदि प्रमुख हैं।

शकील गाजीपुरी

बुजुर्ग शायर शकील गाजीपुरी का 05 मई को इंतिकाल हो गया। एक सितंबर 1948 को ग़ाज़ीपुर जिले के वाजिदपुर में जन्में शकील ग़ाज़ीपुरी माध्यमिक परिषद विभाग में कार्य करते हुए सेवानिवृत्त हुए थे। उनकी दो पुस्तकें ‘लम्हे-लम्हे ख़्वाब के’ और ‘अभिलाषा’ प्रकाशित हुई हैं। उन्हें ‘शान-ए-इलाहाबाद सम्मान’, ‘प्रयाग गौरव सम्मान’, ‘प्रयाग पुष्पम् सम्मान’ और ‘सरदार अली जाफरी एवार्ड’ प्रदान किया गया था।

फजले हसनैन

उर्दू अदीब, व्यंग्यकार और पत्रकार फजले हसनैन का 24 अप्रैल को इंतिकाल हो गया। उनका जन्म 07 दिसंबर 1946 को प्रयागराज के लालगोपालगंज स्थित रावां नामक गांव में हुआ था। ग़ालिब पर लिखी इनकी पुस्तक ‘ग़ालिब एक नज़र में’ को इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने अपने पाठ्यक्रम में शामिल किया था। आपकी कहानियां, नाटक और व्यंग्य देश-विदेश की पत्रिकाओं और अख़बारों छपते रहे हैं। 1982 में इनका पहला व्यंग्य संग्रह ‘रुसवा सरे बाज़ार’ प्रकाशित हुआ था, इस पुस्तक पर उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी ने उन्हें पुरस्कृत किया था। इनके तीन नाटक संग्रह ‘रोशनी और धूप’, ‘रेत के महल’, ‘रात ढलती रही’ छपे हैं।

कलीम उर्फी

मशहूर वयोवृद्ध लेखक कलीम उर्फी का 11 अप्रैल को निधन हो गया। कलीम उर्फी का जन्म 02 अक्तूबर 1928 को प्रयागराज में हुआ था। उनकी हिंदी, उर्दू और अंग्रेजी में कुल 100 से अधिक किताबे प्रकाशित हुई हैं। केंद्र सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, उत्तर प्रदेश सरकार और बिहार सरकारों ने उन्हें सम्मानित किया था। मुंबई की फिल्मी दुनिया में राज कपूर, गुरुदत्त, और मनोज कुमार से कलीम उर्फी के काफी नजदीकी रिश्ते थे। वे मुख्यत: कहानियां और लधुकथाएं, संस्मरण आदि लिखते थे।

तूफान इलाहाबादी

शायर शोएब अब्बास उर्फ़ तूफान इलाहाबादी का 19 अप्रैल को इंतिकाल हो गया। 10 अगस्त 1966 को जन्मे तूफान इलाहाबादी के परिवार में एक पुत्र, एक पु़त्री और पत्नी हैं। इन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर और एलएलबी किया था। इनका एक काव्य संग्रह ‘मौजे कौसर’ प्रकाशित हुआ है।

अशोक कुमार स्नेही

वरिष्ठ कवि अशोक कुमार स्नेही का 18 अप्रैल की सुबह निधन हो गया। उनका जन्म 11 नवंबर 1944 को फतेहपुर जिले के लालीपुर गांव में हुआ था। उनका एक काव्य संग्रह ‘इन्हीं कविताओं से’ प्रकाशित हुआ था।

बादल प्रयागवासी

वरिष्ठ कवि बादल प्रयागवासी का निधन हो गया। 05 जुलाई 1937 को प्रयागराज में ही जन्मे माता बादल श्रीवास्तव उर्फ बादल प्रयागवासी इलाहाबाद हाईकोर्ट में क्लर्क पद से सेवानिवृत्त हुए थे। ‘वचन संग्रह’, ‘काव्याजंलि’, ‘काव्यकुंज’, ‘मुंशीप्रेम चंद की कहानियां का पद्यमय वर्णन’, ‘दिल ही जाने दिल की पीड़ा’, ‘कविता का वास्तविक स्वरूप’, ‘तुला’, ‘शेष पन्ने’ और ‘विचार संग्रह’ नामक उनकी पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं। भारती परिषद और अक्षयवट संस्था ने उन्हें सम्मानित किया था।

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