राजेश्वर सिंह को जवाहर लाल नेहरू की कौन सी बात खटक गई थी, आखिर कैसे जताया था विरोध, जानिए पूरा मसला

सामान्य परिवार के होने पर भी राजेश्वर प्रसाद में स्वाभिमान की भावना कूट-कूटकर भरी थी। एक बार जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें बहुत कटु वचन कह दिया था। यह बात राजेश्वर प्रसाद को बहुत बुरी लगी थी। उन्होंने नेहरू को पत्र लिखकर अपनी पीड़ा से अवगत कराया।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Wed, 24 Feb 2021 07:55 PM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 01:00 PM (IST)
राजेश्वर सिंह को जवाहर लाल नेहरू की कौन सी बात खटक गई थी, आखिर कैसे जताया था विरोध, जानिए पूरा मसला
एक बार नेहरू ने उन्हें बहुत कटु वचन कह दिया था। यह बात राजेश्वर प्रसाद को बहुत बुरी लगी थी।

प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज में आजादी के पहले कायस्थ परिवार में जन्मे राजेश्वर प्रसाद सिंह प्रख्यात साहित्यकार एवं पत्रकार थे। उनके पिता मुंशी जगन्नाथ प्रसाद वकील थे और जवाहर लाल नेहरू के सहायक थे। उनका आंनद भवन तथा नेहरू परिवार से आजीवन संपर्क बना रहा। सामान्य परिवार के होने पर भी राजेश्वर प्रसाद में स्वाभिमान की भावना कूट-कूटकर भरी थी। एक बार जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें बहुत कटु वचन कह दिया था। यह बात राजेश्वर प्रसाद को बहुत बुरी लगी थी। उन्होंने नेहरू को पत्र लिखकर अपनी पीड़ा से अवगत कराया।

मोतीलाल के साथ की थी देश भर में राजनीतिक यात्रा
आकाशवाणी से काफी दिन तक जुड़े रहे वरिष्ठ पत्रकार नरेश मिश्र बताते हैं कि राजेश्वर प्रसाद ने अपनी पत्रकारिता मोतीलाल नेहरू के अखबार इंडिपेडेंट से आरंभ की थी। यह अखबार बंद होने पर उन्होंने मोतीलाल नेहरू के सहायक के रूप में देशभर में राजनीतिक यात्राएं की थीं। उनकी कहानियां और लेख देशभर के सभी प्रमुख समाचार पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए। उन्होंने कई उपन्यास तथा कहानी संग्रह लिखे।

बहुत स्वाभिमानी थे
नरेश मिश्र बताते हैं कि राजेश्वर प्रसाद बहुत स्वाभिमानी थे। एक बार वे प्रांतीय कांग्रेस कार्यालय में साइक्लोस्टाइल मशीन चला रहे थे। जवाहर लाल नेहरू वहां खड़े थे। राजेश्वर प्रसाद के मन पता नहीं क्या आया उन्होंने एक कागज मशीन से खींच लिया। इस पर नेहरू जी भड़क गए। वे उत्तेजित होकर बोले यह क्या हरकत है। क्या दिमाग में भूसा भरा है। नेहरू जी के यह शब्द उन्हें बहुत बुरे लगे थे। उन्होंने घर पहुंचकर नेहरू जी को एक लंबा खत लिखा। उन्होंने पत्र में लिखा कि आप लोग सीधे सादे विद्यार्थियों को वालेटिंयर बनाकर उनसे काम लेते हैं। फिर छोटी से गलती पर उन्हें बुरी तरह फटकारते हैं। यह कोई अच्छी बात नहीं है। नेताओं को ऐसा करना शोभा नहीं देता है।

नेहरू की बात से संतुष्ट हो गए राजेश्वर प्रसाद
नरेश मिश्र बताते हैं कि अगले दिन जब राजेश्वर प्रसाद कार्यालय गए तो थोड़ी देर बाद पहुंचे जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें बुलाया और एकांत में ले गए। नेहरू ने मुस्कराते हुए कहा कि जनाब आप तो बड़ी बौछारें मारते हैं। क्या मैं आप की बेइज्जती करना चाहता था। हरगिज नहीं। मैं चाहता हूं कि आपको करारी ठोकरें पड़ें और आप मजबूत बनें। दुनिया की परेशानी का सामना हिम्मत से कर सकें। राजेश्वर प्रसाद नेहरू की बात से संतुष्ट होकर अपने काम में लग गए।

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