जानिए NCZCC में त्रिधारा नाट्य महोत्सव में कैसी रही बैकस्टेज के ड्रामा 'किसी और का सपना की प्रस्तुति, क्या थी थीम

बैकस्टेज का प्रभावी नाटक किसी और का सपना के मंचन ने पूरे समय तक सभी को सम्मोहित किए रखा। संगीत नाटक अकादमी सम्मान से अलंकृत प्रवीण शेखर के निर्देशन में यह नाट्य प्रयोग प्रभावशाली अभिनय और सुचिंतित डिजाइन से दर्शकों को खूब पसंद आया। नाट्यलेख नंद किशोर का है।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 06:55 PM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 06:55 PM (IST)
जानिए  NCZCC में त्रिधारा नाट्य महोत्सव में कैसी रही बैकस्टेज के ड्रामा 'किसी और का सपना की प्रस्तुति, क्या थी थीम
साहित्यकार शिवकुमार राय बताते हैं कि नाट्य मंचन ने दर्शकों की खूब ताली बटोरी

प्रयागराज, जेएनएन। उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र का मंच रंगकर्मियों के लिए शानदार मंचन का स्थान है। इस मंच पर हमेशा नाटकों का मंचन होता रहता है। केंद्र में त्रिधारा नाट्य महोत्सव बेहतरीन प्रस्तुतियों के नाम रहीं। कलाकारों ने जीवंत मंचन किया तो पर्दे के पीछे से नाट्य कथा के लेखक एवं निर्देशक ने प्रस्तुति को बेहतर बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। महोत्सव में  बैकस्टेज का प्रभावी नाटक 'किसी और का सपना के मंचन ने पूरे समय तक सभी को सम्मोहित किए रखा। संगीत नाटक अकादमी सम्मान से अलंकृत प्रवीण शेखर के निर्देशन में यह नाट्य प्रयोग प्रभावशाली अभिनय और सुचिंतित डिजाइन से दर्शकों को खूब पसंद आया। नाट्यलेख नंद किशोर का है।

व्यक्ति, अभिनेता और चरित्र के द्वंद्व के बीच बेहतर दुनिया का सपना
साहित्यकार शिवकुमार राय बताते हैं कि नाट्य मंचन ने दर्शकों की खूब ताली बटोरी। नाटक में अभिनेता को चरित्र का निर्वाह करते हुए अपने निजी अनुभव को ले आना चाहिए या नहीं? या अभिनेता को आलेख से बंधे रहने की नैतिक ईमानदारी महत्वपूर्ण है या सामाजिक यथार्थ या अभिनेता का मनोधर्म जैसे सवालों के जवाब व्यंग्य व गाम्भीर्य के अंदा में तलाशा गया है। यह नाटक एक अभिनेता और उसके द्वारा निभाये जा रहे चरित्र और आलेख की प्रासंगिकता को साथ लेते हुए, उस अभिनेता की मन:स्थिति के बीच द्वंद्व को दर्शाता है। जहां वह समाज और अपने बीच एक संघर्ष का अनुभव करता है, जिसे वह नाट्य आलेख से अलग रख कर नहीं देख पाता है। उसे बार-बार चीज़ें स्वाभाविक नहीं लगती क्योंकि उसे जिदंगी और नाटक के बीच एक गहरा अधूरापन लगता है। उस अधूरेपन की खाई को वह अपने स्वाभाविक अभिनय से बदलना चाहता है। फिर चाहे इसके लिए उसे आलेख से अलग ही क्यों न जाना पड़े। उसके साथी उसे बार-बार समझाते हैं कि जब अभिनय ही है तो स्वाभाविक कैसा?


किन कलाकारों ने किया काम

बहुत रुचिकर रंगभाषा की बुनावट लिए इस प्रयोग में अभिनय का चटक रंग भरने वालों में अनुज कुमार, भास्कर शर्मा, अमर सिंह, सतीश तिवारी, प्रत्यूष वर्सने और  साधु रहे। संगीत अमर सिंह, प्रकाश योजना टोनी सिंह, सेट सिद्धार्थ पाल, अतिरिक्त दृश्य लेखन अंजल सिंह, भास्कर, अमर, विपिन यादव ने किया। सहयोगी निर्देशक अमर, भास्कर, प्रस्तुति नियंत्रक अंजल और साधु थे। निर्देशन और परिकल्पना का दायित्व प्रवीण शेखर ने बखूबी निभाया।

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