Kailash Nath Katju: देश के पूर्व गृहमंत्री ने प्रयागराज में बिताए थे 50 वर्ष, नैनी जेल में लिखी थी आत्मकथा
Kailash Nath Katju इतिहासकार प्रो.अविनाश चंद मिश्र बताते हैं कि डॉ. कैलाश नाथ काटजू का जन्म 17 जून 1887 में झबरा मध्य प्रांत में हुआ था। उनके पिता त्रिभुवन नाथ काटजू झाबरा के नवाब के यहां काम करते थे। लाहौर से बीए करने के बाद वे प्रयागराज आ गए।
प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज में विलक्षण प्रतिभाओं की कमी कभी नहीं रही। इस शहर में विभिन्न क्षेत्रों के सिद्धहस्त लोग आते रहे और यहीं के होकर रह गए। इसी शहर में कई ने पढ़ाई की और आजादी के आंदोलन में बढ़चढ़ कर भाग लिया। इन्हीं में एक थे डॉ. कैलाश नाथ काटजू। उनके अंदर प्रशासनिक क्षमता कूट-कूट कर भरी थी। अपने जमाने के प्रख्यात अधिवक्ता भी रहे थे। अपने जीवन के करीब पचास वर्ष उन्होंने इलाहाबाद (अब प्रयागराज) में बिताए थे। यहीं उन्होंने उच्च शिक्षा ग्रहण की। शीर्ष के अधिवक्ता बने। ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया। नैनी जेल में उन्होंने अपनी आत्मकथा भी लिखी। जवाहर लाल नेहरू के मंत्रिमंडल में काटजू गृहमंत्री रहे।
हिंदू छात्रावास के पहले बैच के छात्र रहे
इतिहासकार प्रो. अविनाश चंद मिश्र बताते हैं कि डॉ.कैलाश नाथ काटजू का जन्म 17 जून 1887 में झबरा मध्य प्रांत में हुआ था। उनके पिता त्रिभुवन नाथ काटजू झाबरा के नवाब के यहां काम करते थे। लाहौर से बीए करने के बाद वे प्रयागराज आ गए। वे यहां हिंदू छात्रावास में रहने लगे। इस छात्रावास के वे पहले बैच के अंत:वासी थे। 1907 में उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से इतिहास में एमए किया। उसके बाद एलएलबी की उपाधि ग्रहण की। 1908 में कानपुर में पृथ्वीनाथ चक के सहायक के रूप में वकालत शुरू की। 1914 में वे कानपुर से प्रयागराज आ गए।
म्युनिसिपैल्टी के चेयरमैन भी रहे
प्रो.अविनाश चंद बताते हैं कि डॉ.काटजू 1936-37 में म्युनिसिपैल्टी के चेयरमैन भी रहे। 1918 से 1936 तक इलाहाबाद लॉ जर्नल का संपादन किया। महात्मा गांधी एवं मोतीलाल नेहरू से वे काफी प्रभावित रहते थे। 1937 में प्रदेश में गोविंद वल्लभ पंत की अगुवाई में बनी सरकार में वे कानून मंत्री बनाए गए थे। पंचायत राज कानून की रूपरेखा उन्होंने ही तैयार की थी। उड़ीसा तथा बंगाल का राज्यपाल भी उन्हें बनाया गया था। जवाहर लाल नेहरू ने उन्हें केंद्र में गृहमंत्री एवं रक्षा मंत्री का दायित्व भी सौंपा था। बाद में उन्हें मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया गया था।
नैनी जेल में बंदी रहे काटजू
प्रो.मिश्र बताते हैं कि डॉ.काटजू विश्व युद्ध आरंभ होने पर ब्रिटिश नीति के विरोध में कांग्रेस मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया था। व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें 28 नवंबर 1940 से 19 नवंबर 1941 तक नैनी जेल में रखा गया था। भारत छोड़ों आंदोलन में भाग लेने पर अगस्त 1942 में उन्हें फिर गिरफ्तार कर लिया गया। वे अप्रैल 1943 तक जेल में रहे। नैनी जेल में उन्होंने अपने संस्मरणों के आधार पर आत्मकथा द डेज आई रिमेम्बर को लिखा था। 17 फरवरी 1968 का प्रयागराज में उनका निधन हुआ था।