युवाओं को संस्कृति से जोड़ेंगी कैलाश गौतम की रचनाएं

जागरण संवाददाता प्रयागराज जनकवि कैलाश गौतम का रचना संसार वृहद विस्तृत और विविधता से भरा था।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 07 Jan 2021 07:33 PM (IST) Updated:Thu, 07 Jan 2021 07:33 PM (IST)
युवाओं को संस्कृति से जोड़ेंगी कैलाश गौतम की रचनाएं
युवाओं को संस्कृति से जोड़ेंगी कैलाश गौतम की रचनाएं

जागरण संवाददाता, प्रयागराज : जनकवि कैलाश गौतम का रचना संसार वृहद, विस्तृत और विविधता से भरा था। वह चाहे भाषा हो, बोलियों का प्रयोग हो, मुहावरों और चरित्रों का प्रयोग हो। 'अमवसा का मेला' कविता काल के कपाल पर एक ऐसी कालजयी अभिव्यक्ति है जो एक रचनाकार की दृष्टि एवं दृष्टिकोण की स्पष्टता एवं विविधता को पूरी मौलिकता के साथ साहित्य के स्वर्ण अक्षरों में अंकित करता हुआ हो। अबकी माघ मेला के दौरान अमावस्या से लेकर माघी पूíणमा स्नान पर्व तक कैलाश गौतम की लोक रचनाएं खासतौर से भोजपुरी में लिखी 'लोक रामायण राम रसायन', 'अमवसा का मेला' तथा अन्य कविताएं युवाओं छात्रों और संस्कृति प्रेमियों के साथ साझा की जाएंगी। इसके साथ उनकी प्रसिद्ध रचनाओं को ऑडियो वीडियो के माध्यम से भी वैश्विक स्तर पर उनको चाहने वालों तक पहुंचाया जाएगा।

आठ जनवरी 1944 को चंदौली जिला के डिघ्घी गांव में जन्में कैलाश गौतम 1967 में प्रयागराज आए। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से एमए की पढ़ाई की। आकाशवाणी में विभागीय कलाकार व उद्घोषक के रूप में ख्याति अर्जित की। जीवन को चुनौती व उत्सव की तरह लेने और जीने वाले कैलाश गौतम की कविताएं सामाजिक चिंतन का बड़ा विमर्श तैयार करती हैं। इसको ध्यान में रखकर उनके पुत्र व कवि डॉ. श्लेष गौतम की परिकल्पना एवं निर्देशन में 'अमवसा का मेला' को अलग-अलग विश्वविद्यालयों में विभिन्न कला रूपों, संवाद के माध्यम से प्रस्तुत करने की तैयारी चल रही है। हिदुस्तानी एकेडेमी के अध्यक्ष के रूप में हिदी व उर्दू साहित्य के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाले कैलाश गौतम का निधन नौ दिसंबर 2006 को प्रयागराज में हुआ था।

----

यह है प्रमुख रचनाएं

कैलाश गौतम की कई काव्य रचनाएं चर्चित रहीं। इसमें सीली माचिस की तीलियां, जोड़ा ताल, सिर पर आग, कविता लौट पड़ी, बिना कान का आदमी, चिंता नए जूते की, तीन चौथाई आंधर, राग रंग आदि शामिल हैं।

---

मरणोपरांत मिला यश भारती सम्मान

कैलाश गौतम को उत्तर प्रदेश हिदी संस्थान का लोकभूषण सम्मान सहित कई सम्मान मिले। परिवार सम्मान व परंपरा सम्मान के अलावा मरणोपरांत 2007 में यश भारती सम्मान दिया गया।

chat bot
आपका साथी