Kachre Se Azadi: सबसे बड़ी बंदगी, गंदगी मुक्त हो जिंदगी

Kachre Se Azadi स्वच्छता प्रेमी संजीव रोज सुबह शहर के हृदय स्थल कहलाने वाले अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद पार्क में पहुंच जाते हैं।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Sat, 15 Aug 2020 12:42 PM (IST) Updated:Sat, 15 Aug 2020 12:42 PM (IST)
Kachre Se Azadi: सबसे बड़ी बंदगी, गंदगी मुक्त हो जिंदगी
Kachre Se Azadi: सबसे बड़ी बंदगी, गंदगी मुक्त हो जिंदगी

प्रयागराज, ज्ञानेंद्र सिंह। Kachre Se Azadi संजीव त्रिपाठी नाम है उनका। पेशे से इंजीनियर हैं। संकल्प स्वच्छता का है। कोरोना के चलते अब स्वच्छता के साथ शुद्धता भी संकल्प में जुड़ गया है। कभी अकेले चले थे इस राह पर अब उनकी मुहिम से सैकड़ों लोग जुड़ गए हैं, जो जहां-तहां कूड़ा-कचरा करने से परहेज करते हैं। स्वच्छता प्रेमी संजीव रोज सुबह शहर के हृदय स्थल कहलाने वाले अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद पार्क में पहुंच जाते हैं।

मॉर्निंग वॉक के लिए नहीं बल्कि वहां कूड़ा बीनने के लिए। हाथ में बोरी लेकर वह पार्क का चक्कर लगाते हैं जहां भी कूड़ा होता है उसे बोरी में भरते हैं। इस काम में हाथ बंटाती हैं उनकी पत्नी अर्चना त्रिपाठी। ऐसा नहीं है कि त्रिपाठी दंपती पार्क से कूड़ा बीन उसे कहीं भी फेंक देते हैं। वह इसका उचित प्रबंधन करते हैं। वह सुबह उठते ही पहले संगम के गंगा घाटों की सफाई करते हैं। फिर चंद्रशेखर आजाद पार्क पहुंचते हैं। रोज लगभग तीन घंटे वह स्वच्छता को देते हैं।

संजीव के इसी सेवाभाव को देखते हुए प्रयागराज नगर निगम ने वर्ष 2018 में स्वच्छता अभियान का ब्रांड अंबेसडर बनाया। कोरोना काल के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब सफाई र्किमयों को कोरोना योद्धा का दर्जा दिया तो संजीव ने भी ऐसे र्किमयों को सम्मानित कर उनका उत्साहवर्धन भी किया। संजीव के संकल्प में उनके मोहल्ले के लोगों के अलावा आजाद पार्क में आने वाले मॉर्निंग वॉकर्स भी जुड़े हैं। सभी घरों के आसपास सड़क, गली की सफाई करते हैं। मोहल्लों में स्थित पार्कों की भी चिंता है। मुहिम रंग ला रही है, लोग जुड़ते जा रहे हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बताया कि साथियों, देश को कमजोर बनाने वाली बुराइयां भारत छोड़ें, इससे अच्छा और क्या होगा। इसी सोच के साथ बीते 6 साल से देश में एक व्यापक भारत छोड़ो अभियान चल रहा है।

गरीबी- भारत छोड़ो!

खुले में शौच की मजबूरी- भारत छोड़ो!

पानी के दर-दर भटकने की मजबूरी- भारत छोड़ो!

सिंगल यूज प्लास्टिक-भारत छोड़ो।

भेदभाव की प्रवृत्ति, भारत छोड़ो!

भ्रष्टाचार की कुरीति, भारत छोड़ो!

आतंक और हिंसा - भारत छोड़ो!

भारत छोड़ो के ये सभी संकल्प स्वराज से सुराज की भावना के अनुरूप ही हैं। इसी कड़ी में आज हम सभी को ‘गंदगी भारत छोड़ो’ का भी संकल्प दोहराना है।

(आठ अगस्त को राष्ट्रीय स्वच्छता केंद्र के उद्घाटन पर दिए भाषण का अंश)

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