Jivitputrika Vrat 2021: पुत्र की सुख-समृद्धि के लिए महिलाएं कल व्रत रखेंगी, जानें व्रत का महत्‍व

Jivitputrika Vrat 2021 पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत संतान प्राप्ति और उसकी लंबी आयु की कामना के लिए रखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस व्रत को करने से संतान के सभी कष्ट दूर होते हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 10:58 AM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 10:58 AM (IST)
Jivitputrika Vrat 2021: पुत्र की सुख-समृद्धि के लिए महिलाएं कल व्रत रखेंगी, जानें व्रत का महत्‍व
पुत्रों की दीर्घायु के लिए जीवित्‍पुत्रिका का व्रत कल बुधवार को महिलाएं रखेंगी।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। कल यानी बुधवार को आश्विन कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि पर पुत्र प्राप्ति व पुत्र की कुशलता के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाएगा। इस व्रत का पारण नवमी तिथि को करने का विधान है। महिलाओं ने जीवित्‍पुत्रिका के व्रत की तैयारी कर रखी है। वहीं पितृपक्ष में सुख, समृद्धि व सौभाग्य की कामना के लिए महिलाओं ने आज मंगलवार को महालक्ष्मी का व्रत रखा है। दिन भर निर्जला रहकर भजन-कीर्तन में लीन रहेंगी, जबकि चंद्रोदय (चंद्रमा के उदय) होने पर विधि-विधान से मां महालक्ष्मी का पूजन करेंगी।

जीवित्‍पुत्रिका व्रत का पारण गुरुवार को होगा : आचार्य देवेंद्र प्रसाद

ज्योतिर्विद आचार्य देवेंद्र प्रसाद त्रिपाठी के अनुसार मंगलवार की दोपहर 3.06 बजे आश्विन कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि लग जाएगी। जो बुधवार की शाम 4.55 बजे तक रहेगी। इसके बाद नवमी तिथि शाम 4.56 बजे लगकर गुरुवार की शाम 6.24 बजे तक रहेगी। बताते हैं कि महालक्ष्मी के व्रत में शाम को अष्टमी तिथि का होना आवश्यक है। इसी कारण मंगलवार को महालक्ष्मी का व्रत रखा जाएगा। चंद्रोदय रात 10.43 बजे होगा। चंद्रोदय होने के बाद महालक्ष्मी का पूजन करके चंद्रमा को अर्घ्‍य देने के बाद व्रती महिलाएं जल ग्रहण करेंगी। वहीं, उदया तिथि के कारण जीवित्पुत्रिका व्रत बुधवार को रखा जाएगा, उसका पारण गुरुवार की सुबह होगा।

जीवित्पुत्रिका व्रत का महत्व बता रहे हैं आचार्य विद्याकांत

पराशर ज्योतिष संस्थान के निदेशक आचार्य विद्याकांत पांडेय के अनुसार जीवित्पुत्रिका व्रत संतान प्राप्ति और उसकी लंबी आयु की कामना के लिए रखा जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस व्रत को करने से संतान के सभी कष्ट दूर होते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, महाभारत काल में भगवान श्रीकृष्ण ने अपने पुण्य कर्मों को अ?जत करके उत्तरा के गर्भ में पल रहे शिशु को जीवनदान दिया था, इसलिए यह व्रत संतान की रक्षा की कामना के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत के फलस्वरुप भगवान श्रीकृष्ण संतान की रक्षा करते हैं।

जानें, जीवित्पुत्रिका व्रत की पूजन विधि

आचार्य विद्याकांत पांडेय बताते हैं कि जीवित्पुत्रिका व्रत में माताएं सप्तमी तिथि को भोजन व जल ग्रहण करती हैं। अष्टमी तिथि को पूरे दिन निर्जला व्रत रखना चाहिए। व्रत के दिन व्रती महिलाओं को स्नान के बाद सूर्यदेव को अर्घ्‍य देना चाहिए। धूप, दीप आदि से आरती करके भोग लगाएं। महिलाओं को पवित्र होकर संकल्प के साथ छोटा तालाब खोदकर बना लें। तालाब के निकट एक पाकड़ की डाल लाकर खड़ा करें। जिमूतवाहन की कुश निर्मित मूर्ति, जल या मिट्टी के पात्र में स्थापित करके पीली और लाल रूई से उसे अलंकृत करके धूप, दीप, अक्षत, फूल, माला अर्पित करके जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा कहनी चाहिए।

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