सार्वजनिक स्थलों पर अवैध धार्मिक निर्माण हटाने का एक्शन प्लान हाई कोर्ट में पेश करने का निर्देश
सार्वजनिक संपत्ति पर मंदिर मस्जिद चर्च व गुरुद्वारों के अवैध निर्माण पर रोक लगाने व अतिक्रमण हटाने का 30 दिन में ऐक्शन प्लान पेश करने का निर्देश दिया है। साथ ही पूछा है कि सार्वजनिक स्थलों को अवैध धार्मिक निर्माण से किस तरह से बचाएंगे।
प्रयागराज, विधि संवाददाता। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी को सड़क, गली, पार्क व सार्वजनिक संपत्ति पर मंदिर, मस्जिद, चर्च व गुरुद्वारों के अवैध निर्माण पर रोक लगाने व अतिक्रमण हटाने का 30 दिन में ऐक्शन प्लान पेश करने का निर्देश दिया है। साथ ही पूछा है कि सार्वजनिक स्थलों को अवैध धार्मिक निर्माण से किस तरह से बचाएंगे। हाई कोर्ट ने रिपोर्ट के साथ हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है और कहा है कि यदि हलफनामा दाखिल करने में विफल रहते हैं तो हाजिर होकर कारण बताएं कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही की जाय। याचिका की सुनवाई 5 अक्टूबर को होगी।
अदालत के आदेश का पालन नहीं करने पर याचिका
यह आदेश न्यायमूर्ति अजीत कुमार ने अब्दुल कयूम की अवमानना याचिका पर दिया है। याची का कहना है कि कोर्ट ने 13 सितंबर 2013 को अंतरिम आदेश से सार्वजनिक स्थलों से अवैध धार्मिक निर्माण हटाने का निर्देश दिया है जिसका पालन नहीं किया जा रहा है। सरकार कड़े कदम नहीं उठा रही है और हलफनामा दाखिल कर माफी मांग रही है। अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं।
राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय के कुलसचिव 14 सितंबर को तलब
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उप्र राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय फाफामऊ प्रयागराज के कुलसचिव को एक साथ दो कोर्स करने की अनुमति देने पर निर्णय लेने का समय दिया है और 14 सितंबर को स्पष्टीकरण के साथ हाजिर होने का निर्देश दिया है कि क्यों न उन पर याची छात्रा को परेशान करने के लिए भारी हर्जाना लगाया जाय। साथ ही क्यों न उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए संस्तुति की जाय। यह आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट ने उन्नति की याचिका पर दिया है।
कुलसचिव ने कोर्ट के निर्देश के बाद भी निर्णय नहीं लिया
याची ने ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती लैंग्वेज विश्वविद्यालय लखनऊ में पीएचडी कोर्स 2018-19 में पंजीकरण कराया और राजर्षि टंडन मुक्त विश्वविद्यालय में भी एमए गृह विज्ञान 2019-20
में प्रवेश लिया। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की गाइडलाइंस कि एक नियमित व एक दूरस्थ एक साथ दो कोर्स की पढ़ाई की छूट के आधार पर अनुमति मांगी। दोनों कोर्स नियमित नहीं हो सकता। कुलसचिव ने कोर्ट के निर्देश के बाद भी निर्णय नहीं लिया तो कोर्ट ने कुलपति को पक्षकार बनाया और हाजिर होने का निर्देश दिया। इसके बाद विश्वविद्यालय के अधिवक्ता ने समय मांगा और कहा कुलसचिव को निर्णय लेने का समय दिया जाय। कोर्ट ने कुलसचिव के रवैए पर नाराजगी जाहिर की।
इस पर कोर्ट ने कुलपति को अगली तिथि पर हाजिर न होने की छूट दी और कुलसचिव को निर्णय लेने तथा हाजिर होने का निर्देश दिया है। सुनवाई 14 सितंबर को होगी।