आखिर गरीबों की ठंड कैसे दूर हो जब रैनबसेरा बने हैं कमाई का जरिया Prayagraj News

गरीब खुले में ठंड बिता रहे हैं तो रैनबसेरों में अवैध कब्‍जा है। यहां कमरे किराए पर दिए जा रहे हैं। महापौर के निरीक्षण में इस रहस्‍य का पता चला।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 06 Dec 2019 11:07 AM (IST) Updated:Fri, 06 Dec 2019 06:56 PM (IST)
आखिर गरीबों की ठंड कैसे दूर हो जब रैनबसेरा बने हैं कमाई का जरिया Prayagraj News
आखिर गरीबों की ठंड कैसे दूर हो जब रैनबसेरा बने हैं कमाई का जरिया Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। सुनने में सहसा यकीन नहीं होता लेकिन सच्चाई यही है। गरीबों को ठंड से बचाने के लिए शहर में बनवाए गए रैन बसेरे कमाई का जरिया बन गए हैं। रैन बसेरों के कमरों को किराए पर उठाया जा रहा है। शादी समारोह के लिए दिया जा रहा है। अल्लापुर हैजा हॉस्पिटल स्थित तीन रैनबसेरों में कमरों को किराए पर उठाया गया है। कुछ कमरों में केयर टेकरों ने कब्जा कर रखा है। अंधेर यह कि यहां कमरों को शादी के अवसर पर 15 हजार रुपये लेकर जनवास के रूप में भी दिया जा रहा है।

महापौर ने रैनबसेरों का औचक निरीक्षण किया तो सामने आई सच्चाई

शहर में रैन बसेरों की बदहाली पर दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित हुई तो महापौर अभिलाषा गुप्ता नंदी ने हैजा हॉस्पिटल व लीडर रोड स्थित रैनबसेरों का औचक निरीक्षण किया। इस निरीक्षण में यह सच्चाई सामने आई। नगर निगम ने हैजा हॉस्पिटल परिसर में दो रैनबसेरों की देखरेख की जिम्मेदारी लखनऊ की एक्शन प्वाइंट समिति तथा अलीगढ़ की जन सेवा समिति को दी है। महापौर मौके पर पहुंचीं तो पता चला कि यहां कमरे किराए पर दिए जा रहे हैं। जिन कमरों को किराए पर दिया गया था, उनमें और कमरों में रखी ज्यादातर अलमारियों में ताले लगे मिले। कन्हैया, शैलेंद्र, सरपत, अजय, निलेश, शाहित अली समेत कई अन्य लोग काफी दिनों से यहां कमरों में कब्जा कर रखे हैं। पता चला कि केयर टेकर सरस व अजय पैसे लेकर लोगों को यहां ठहराते हैैं। रैनबसेरा का जनवास के रूप में व्यवसाय किया जा रहा है। निरीक्षण में रैनबसेरा में हर कमरे तथा बाथरूम में गंदगी मिली।

तीन हजार रुपये प्रति माह लेकर रैनबसेरा में किराए पर दिए जाते हैं कमरे

रेनबसेरा में किराए पर कमरा लेकर रह रहे देव प्रताप सिंह नाम के व्यक्ति ने बताया कि अर्जुन नाम का व्यक्ति उससे तीन हजार रुपये प्रति माह लेता है। ऐसे पांच से अधिक व्यक्ति जानकारी में हैैं। लीडर रोड स्थित रैन बसेरा श्रावस्ती की वल्र्ड वेलफेयर सोसाइटी को आवंटित है। निरीक्षण में पता चला कि यहां जो लोग रह रहे हैैं, उनकी कोई भी आइडी संस्था के पास नहीं है। यहां गंदगी का अंबार मिला। लीडर रोड पर ही एक अन्य रैन बसेरा के संचालन की जिम्मेदारी नई दिल्ली की सुर निर्माण एजुकेशनल एंड कल्चरल सोसाइटी के पास है। इस रैन बसेरा में भी रह रहे लोगों की आइडी संस्था के पास नहीं मिली। यहां दीवार पर पोस्टर लगा मिला, जिस पर लिखा है आधार कार्ड आवश्यक नहीं है।

दैनिक रजिस्टर में सभी नाम एक जैसे

रैनबसेरा में मनमानी का आलम यह कि निरीक्षण के दौरान महापौर को यहां रखे दैनिक रजिस्टर में सभी नाम लगभग एक ही तरह के मिले। रैनबसेरा में आने वालों को आधार कार्ड दिखाना अनिवार्य है लेकिन रजिस्टर में दर्ज नामों में से किसी के साथ आधार नंबर नहीं मिला।

रात होते ही चलता है शराब का दौर

हैजा हॉस्पिटल रैनबसेरा में रात होते ही शराब का दौर चलने लगता है। निरीक्षण के दौरान स्थानीय लोगों ने महापौर को बताया कि यहां तकरीबन रोज रात में शराब की पार्टी होती है। रात में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति से 30 से 50 रुपये तक लिए जाते हैैं। रोगी शयनकक्ष में केयर टेकर का पूरा परिवार रहता पाया गया।

बिना आवंटन के चलाया जा रहा तीसरा रैनबसेरा

हैजा हॉस्पिटल परिसर में तीसरे रैनबसेरे को बिना आवंटन के लिए ही चलाया जा रहा है। निरीक्षण के दौरान महापौर को बताया गया कि किसी स्थानीय व्यक्ति रवि भारतीय द्वारा उसे संचालित किया जा रहा है। इसमें भी किराए पर कमरे उठाए गए हैैं जिनमें ताले लगे हैैं। इस रैनबसेरे के कुछ कमरों में शराब की बोतलें भी मिलीं।

डूडा के सिटी मिशन मैनेजर की भूमिका संदिग्ध

इन रैनबसेरों का संचालन डूडा के माध्यम से एनजीओ द्वारा कराया जा रहा है। निरीक्षण के दौरान महापौर अभिलाषा गुप्ता नंदी ने इनके संचालन में एनजीओ तथा डूडा के सिटी मिशन मैनेजर की भूमिका को संदिग्ध माना है। उन्होंने नगर आयुक्त एवं परियोजना अधिकारी को रैन बसेरा आवंटन की पत्रावली जांच के लिए उपलब्ध कराने का निर्देश दिया। निरीक्षण के दौरान रैनबसेरों से जब्त किए गए रजिस्टरों की जांच के लिए संबंधित को प्रेषित करने और संचालकों का पक्ष रखने के लिए कहा है।

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