देश और दुनिया में इलाहाबादी सुर्खा अमरूद की मिठास पहुंचा रहे प्रयागराज के इंद्रजीत

इंद्रजीत पटेल और उनका परिवार लंबे समय से अमरूद की बागवानी से जुड़ा हुआ है। 25-30 बीघा क्षेत्रफल में अमरूद के बाग लगा रखे हैं। परिवार की आय का मूल जरिया भी अमरूद की बागवानी है जबकि कुछ क्षेत्रफल में खाने-पीने के लिए थोड़ा बहुत अनाज उगा लेते हैं।

By Rajneesh MishraEdited By: Publish:Fri, 22 Jan 2021 02:03 PM (IST) Updated:Fri, 22 Jan 2021 04:39 PM (IST)
देश और दुनिया में इलाहाबादी सुर्खा अमरूद की मिठास पहुंचा रहे प्रयागराज के इंद्रजीत
इलाहाबाद अमरूद की मिठास को देश-दुनिया में पहुंचाने का बीड़ा उठाए हैं बाकराबाद गांव के इंद्रजीत पटेल।

प्रयागराज, जेएनएन। तीर्थराज प्रयाग की देश-दुनिया में जितनी पहचान तीन नदियों के संगम, साहित्यिक, धार्मिक और राजनीतिक वजहों से हैं उतना ही यहां उत्पादित होने वाले अमरूद की खास किस्में सुर्खा, सफेदा के कारण है। पिछले कई सालों से इलाहाबाद अमरूद की मिठास को देश-दुनिया में पहुंचाने का बीड़ा उठाए हैं बाकराबाद गांव के इंद्रजीत पटेल। उनको सुर्खा के लिए जीआइ टैग भी मिला हुआ है।  

लंबे समय से उनका परिवार कर रहा अमरूद की बागवानी

प्रयागराज जिले के पश्चिमी क्षेत्र में ग्राम बाकराबाद के रहने वाले इंद्रजीत पटेल और उनका परिवार लंबे समय से अमरूद की बागवानी से जुड़ा हुआ है। 25-30 बीघा क्षेत्रफल में अमरूद के बाग लगा रखे हैं। परिवार की आय का मूल जरिया भी अमरूद की बागवानी है जबकि कुछ क्षेत्रफल में खाने-पीने के लिए थोड़ा बहुत अनाज उगा लेते हैं।  

बाकराबाद और पास के गांवों में करीब पांच सौ बीघे में हैं बाग

जिले के बमरौली इलाके और उससे सटे हुए कौशांबी जिले के दर्जनों गांवों में अमरूद का उत्पादन किया जाता है। दो-तीन किलोमीटर के दायरे में आने वाले बाकराबाद, असरौली, बमरौली, मानिकपुर, सल्लाहपुर, छबीलेपुर और चायल के कुछ गांवों में तकरीबन चार सौ से पांच सौ बीघा में अमरूद के बाग हैं जिसमें हर साल सुर्खा और सफेदा की किस्में लहलहाती हैं।

2006 में सुर्खा के लिए प्रदेश का पहला जीआइ टैग मिला

इंद्रजीत पटेल उर्फ मुन्नू पटेल बताते हैं कि सुर्खा अमरूद के बेहतर उत्पादन और उसके प्रचार-प्रसार के लिए उन्हें वर्ष 2006 में जीआइ उत्पाद का टैग मिला। बताते हैं कि उत्तर प्रदेश में उन्हें पहला जीआइ टैग दिया गया था। तब से वे सुर्खा अमरूद को देश-विदेश में ले जाने के काम में लगे हुए हैं।

काशी के लोगों की जुबान पर चढ़ गया सुर्खा का स्वाद

वाराणसी में सप्ताह भर सुर्खा, सफेदा अमरूद की धूम रही। वाराणसी के दीन दयाल फैसिलेटेशन सेंटर में 18 से 24 जनवरी तक जीआइ टैग वाले उत्पादों की प्रदर्शनी लगाई गई थी जिसमें मुन्नू पटेल को भी आमंत्रित किया गया था। पटेल ने बताया कि काशी में सुर्खा को हाथों हाथ लिया गया। मुन्नू ने बताया कि इस बार उत्पादन बहुत कम होने के कारण अधिक मात्रा में अमरूद नहीं ले जा सके थे जिससे तमाम लोग सुर्खा का स्वाद नहीं ले सके। काशी में सुर्खा के स्टाल को पुरस्कृत भी किया गया। मुन्नू के मुताबिक अभी तक सुर्खा के उत्पादन व प्रचार-प्रसार के लिए उन्हें पांच सौ से अधिक अवार्ड मिले हैं।

क्या है जीआइ टैगिंग, क्यों दिया जाता है उत्पादकों को

जीआइ टैग एक भौगोलिक संकेत है जो किसी क्षेत्र विशेष के उत्पाद निर्माता या व्यवसायियों को अच्छी गुणवत्ता के औद्योगिक अथवा प्राकृतिक वस्तुओं के उत्पादन के लिए प्रदान किया जाता है। जिले के उपायुक्त उद्योग जीके गौतम बताते हैं कि बाकराबाद के बागवान इंद्रजीत पटेल को सुर्खा अमरूद के लिए जीआइ टैग प्राप्त है। वाराणसी में जीआइ उत्पादों की प्रदर्शनी में जिले से उन्हें भेजा गया था जहां उनके उत्पाद और स्टाल की काफी सराहना हुई है।

विदेशों में सुर्खा को है बाजार मिलने की दरकार

इंद्रजीत बताते हैं कि उत्तर प्रदेश के 15 जिलों के ही कुछ खास चीजों को जीआइ टैग मिला हुआ है। उनमें सुर्खा भी शामिल है। कहा कि  सुर्खा विदेशों तक पहुंच चुका है लेकिन यदि सरकार मदद करे और दूसरे देशों में भी बाजार उपलब्ध कराए तो इलाहाबादी अमरूद की मिठास और तेजी से फैलेगी। इससे किसानों के साथ सरकार को भी लाभ होगा। बताया कि काशी में लघु उद्योग राज्यमंत्री चौधरी उदयभान ने सरकार की ओर से मदद का भरोसा दिया है।

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