Indian Railways: जानें, मुख्य आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल की रिपोर्ट से रेलवे कर्मियों में क्यों मची खलबली
Indian Railways मुख्य आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल ने जो रिपोर्ट दी है उसमें उन्होंने रेलवे में केंद्रीयकृत व्यवस्थाओं की वकालत करते हुए कई संस्थानों को बंद करने उसमें दूसरे संगठन में समाहित करने ढांचागत व्यवस्थाओं में बदलाव की सिफारिश की है।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। कोरोना काल में जहां बिजनेस करने का तरीका बदल गया है। लोगों की जीवन शैली बदल गई है। वह कई सरकारी कार्यालय में काम करने का तौर-तरीका भी बदल गया है। इतना ही नहीं कई संगठनों में बड़े बदलाव की भी तैयारी शुरू हो गई। ऐसा ही महत्वपूर्ण विभाग है रेलवे, जहां पर अमूल-चूल परिवर्तन की कवायद शुरू हो गई है। मुख्य आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल की रिपोर्ट ने खलबली मचा दी है। जहां कई रेलवे संस्थान बंद करने की उन्होंने सिफारिश की है, वहीं कई का स्वरूप भी बदलेगा। इसमें से प्रशिक्षण संस्थान और केंद्रीय संस्थान भी शामिल हैं।
सान्याल की रिपोर्ट से परिवर्तन की कवायद
संजीव सान्याल ने जो रिपोर्ट दी है, उसमें उन्होंने रेलवे में केंद्रीयकृत व्यवस्थाओं की वकालत करते हुए कई संस्थानों को बंद करने, उसमें दूसरे संगठन में समाहित करने, ढांचागत व्यवस्थाओं में बदलाव की सिफारिश की है। उनके प्रस्ताव को मंत्री मंडल सचिवालय की ओर से झंडी मिलने के बाद जोनल मुख्यालय को इसके लिए पत्र भी भेज दिया गया है। पत्र को लेकर अधिकारियों और कर्मचारियों में खलबली मच गई है। उन्हें अपने भविष्य की चिंता सता रही है।
रेलवे भर्ती प्रकोष्ठ को बंद करने की योजना
रेलवे की परीक्षाएं अब आनलाइन हो रही हैं, इसलिए रेलवे भर्ती बोर्ड और रेलवे भर्ती प्रकोष्ठ को बंद करने की योजना है। जून 2023 तक भारतीय रेलवे में 100 फीसद विद्युतीकरण कर दिया जाएगा, इसलिए कोर को समाप्त करने के बारे में विचार हो रहा है। रेलवे के स्कूलों में बच्चों की संख्या कम होेने पर उसे बंद करने की योजना है। रेलवे में ट्रांसपोर्टेशन बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण संस्था के कोर्स से लेकर संगठन को बदलने की तैयारी चल रही है। रेलवे में कुल आठ प्रशिक्षण संस्थान हैं। इसके अलावा केंद्रीय संस्थानों में अधिकारियों को प्रशिक्षित किया जाता है।
रेलवे यूनियन हुई मुखर
नार्थ सेंट्रल रेलवे मेंस यूनियन (एनसीआरएमयू) के केंद्रीय अध्यक्ष शिवगोपाल मिश्रा ने फोन पर बातचीत के दौरान बताया कि आजादी के बाद से रेलवे में बड़े बदलावों के नाम पर लगभग 100 कमेटियां बनाई गईं। उसमें 36 ने रिपोर्ट सौंपी, जिनकी रिपोर्ट भी आई उसकी सिफारिश को लागू नहीं किया गया। संजीव सान्याल की सिफारिशें भी अन्य रिपोर्ट की तरफ ही रहेगी। उन्होंने कहा कि रेल कर्मियों के अधिकारों और यात्री सुविधा से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। रेलवे में निजीकरण और मौद्रीकरण का प्रबल विरोध होगा। इसके लिए सभी रेलवे संगठन एक मत हैं। आंदोलन में उपभोक्ताओं को भी शामिल किया जाएगा। एनसीआरएमयू ने इसकी व्यापक कार्ययोजना बना ली है। जल्द ही चीजें धरातल पर दिखाई देने लगेंगी।