पौष में असाढ़ जैसी बारिश संग ओले भी गिरे, खेतों में फसल खराब देख किसान हताश Prayagraj News

मौसम ने करवट बदली तो किसानों की खून पसीने की कमाई खराब हुई। तेज हवा के साथ हो रही बारिश और ओले गिरने से खेतों में फसल चौपट हो गई है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 13 Dec 2019 09:59 AM (IST) Updated:Fri, 13 Dec 2019 12:46 PM (IST)
पौष में असाढ़ जैसी बारिश संग ओले भी गिरे, खेतों में फसल खराब देख किसान हताश Prayagraj News
पौष में असाढ़ जैसी बारिश संग ओले भी गिरे, खेतों में फसल खराब देख किसान हताश Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। कहते हैं कि मौसम कब करवट बदल ले, किसी को भी पता नहीं। पिछले दो दिनों कुछ ऐसा ही नजर आ रहा है। जी हां मौसम का मिजाज बिगड़ गया है। तेज हवा के साथ गुरुवार से शुरू बारिश शुक्रवार तक जारी है। लगातार कभी झमाझम तो कभी रिमझिम फुहार हो रही है। तेज हवा के साथ बारिश और ओले गिरने से खेतों में फसल चौपट हो गई है। किसानों के माथे पर चिंता की रेखा नजर आने लगी है। पौष के महीने में असाढ़ जैसी झमाझम बारिश ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है। वहीं गलन और ठंड भी बढ़ गई है। मौसम विशेषज्ञों ने आज पूरे दिन बारिश के आसार जताए हैं।

मौसम के बिगड़े मिजाज ने लोगों को किया परेशान

मौसम के बिगड़े मिजाज ने लोगों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। गुरुवार की दोपहर से शुरू हुई बारिश रुक-रुककर देर रात तक जारी रही। मौसम के इस तेवर से ठंड बढ़ गई। लोग अलाव के पास चिपके रहे। लगातार बारिश से लोगों को गंतव्य तक पहुंचने में भी विलंब हुआ। बाजारों में सरे शाम सन्नाटा पसर गया। मौसम का मिजाज बिगड़ेगा इसकी आशंका पहले से ही जताई जा रही थी। मौसम विशेषज्ञों का अनुमान था कि बूंदाबादी होगी। मौसम ठीक उसी चाल से चला। गुरुवार सुबह से ही आसमान में बादल छाने के आसार नजर आने लगे। दोपहर होते-होतेे घने बादल छा गए। फिर शाम करीब चार बजे से बूंदाबादी शुरू हुई तो रात तक रिमझिम बरसात जारी रही। इससे वातावरण में ठंडक बढ़ गई। रात तक करीब दस मिमी बारिश हुई। शुक्रवार की सुबह से कभी झमाझम तो कभी रिमझिम बारिश हो रही है। ऐसे में गलन भरी ठंड भी बढ़ गई है।

बारिश से बुझे अलाव, कैसे दूर हो ठंड

गुरुवार को वातावरण में गलन बढ़ऩे से सड़क पर चलते राजगीर मफलर टोपी लगाए नजर आए। बाजारों से अधिकांश ग्राहक नदारद हो गए। दुकानों के आगे जगह-जगह अलावा जलाए गए। वहीं शुक्रवार की सुबह से लोग सार्वजनिक स्थलों पर अलाव भी नहीं जला पा रहे हैं। लगातार हो रही बारिश ने परेशानी उत्पन्न कर दी है। घरों में ही लोगों ने अलाव की व्यवस्था किया है। शहर की घनी बस्तियों में ठंड का प्रकोप कम है लेकिन खुले स्थानों और ग्रामीण इलाकों में गलन चरम पर है।

बूंदाबांदी से बिजली आपूर्ति लड़खड़ाई

गुरुवार की शाम शुरू हुई बूंदाबादी के कारण बिजली आपूर्ति भी लड़खड़ा गई है। शहर से लेकर गांव तक रात भर बिजली नहीं रहने से लोग परेशान रहे। जगह-जगह फाल्ट होने लगे तो शाम को सप्लाई बंद कर दी गई थी। देर रात मौसम और खराब हुआ तो चौफटका, चकनिरातुल, चकिया, खुल्दाबाद, रामबाग, सिविल लाइंस, करेली, कर्बला, मुट्ठीगंज, चौक, मीरापुर, अल्लापुर, कटरा आदि इलाकों में भी घंटों सप्लाई बाधित रही। जिन इलाकों में बड़ा फाल्ट हो गया, उसे ठीक भी नहीं किया गया। यही हाल शुक्रवार की सुबह भी रहा। कई इलाकों में बिजली आपूर्ति ठप रही, जिससे लोगों को पेयजल की भी समस्या से दो-चार होना पड़ा।

खराब मौसम के चलते देर से आई फ्लाइट

मौसम में आए बदलाव का असर देशव्यापी है। इसलिए इससे हवाई यात्रा भी प्रभावित हो रही है। कोलकाता से प्रयागराज आने वाली इंडिगो की फ्लाइट गुरुवार को एक घंटे देरी आई। ऐसे ही दिल्ली में खराब मौसम के चलते वहां से आने वाली एयर इंडिया की फ्लाइट भी एक घंटे देरी से आई। इससे यात्रियों को परेशानी भी हुई।

रेलवे स्‍टेशन व बस स्‍टैंड पर कंपकंपाए यात्री

अचानक बारिश से बढ़ी ठंड का असर रेलवे स्‍टेशन और बस स्टैंड पर भी नजर आया। कुछ जो अपने साथ रजाई व कंबल लेकर आए थे उन यात्रियों ने उसमें दुबककर समय बिताया। वहीं जो तैयारी से नहीं आए थे उनकी फजीहत ही रही। उन्‍हें तो कंपकंपाना पड़ा।

स्‍कूली बच्‍चों की फजीहत

शुक्रवार की सुबह से हो रही बारिश और ठंड ने स्‍कूली बच्‍चों को परेशान किया। स्‍कूल खुला होने की वजह से बच्‍चों के माता-पिता ने छाता, रेनकोट आदि बच्‍चों को पहनाकर स्‍कूल भेजा।

आंधी, बारिश और ओलावृष्टि ने मचाई खेतों में तबाही

आंधी के साथ बारिश और ओलावृष्टि ने सबसे अधिक परेशान किसानों को किया है। खेतों में धान की फसल कटने के बाद बोझ बनाकर किसानों ने रखा था। खेतों में पानी भरने से धान की फसल नष्ट हो गई है। किसानों को भारी क्षति इससे हुई है। खून-पसीने की कमाई पर पानी फिरते देख उनकी आंखों में आंसू हैं।

बुवाई के बाद खेतों में भरापानी से बीजमारी एवं खेतों खलिहानों  में पड़े धान के बोझ।

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