SRN Hospital Prayagraj: डाक्टर को अपनी तकलीफ बताने के लिए मरीजों को करना पड़ता हैं दो घंटे से ज्यादा इंतजार
स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय नाम बड़े व दर्शन छोटे वाली कहावत चरितार्थ कर रहा है। यहां मरीजों की संख्या के सापेक्ष पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर ही बौना है। ओपीडी में डाक्टर से बातचीत बमुश्किल एक मिनट ही हो पाती है और इसके लिए मरीज को दो से ढाई घंटे व्यतीत करने पड़ते हैं
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। खामियों की पटरी पर चल रहे जिले के स्वास्थ्य महकमे की धुरी यानी सबसे व्यस्ततम स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय 'नाम बड़े व दर्शन छोटे वाली कहावत चरितार्थ कर रहा है। डाक्टर ही नहीं, यहां तो मरीजों की संख्या के सापेक्ष पूरा का पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर ही बौना है। ओपीडी में डाक्टर से बातचीत बमुश्किल एक मिनट ही हो पाती है और इसके लिए मरीज को दो से ढाई घंटे व्यतीत करने पड़ते हैं। शासन की नजरें इनायत होने का यहां क्या फायदा जब अस्पताल के पास हृदय रोग के विशेषज्ञ डाक्टर तक नहीं हैं। जानिए एसआरएन के हालात दैनिक जागरण की इस रिपोर्ट में।
डाक्टरों के 219 पद, 37 खाली
30 विभाग हैं एसआरएन में।
182 डाक्टर वर्तमान में नियुक्त हैं।
20 सीनियर डाक्टर बैठते हैं ओपीडी में ।
04 जूनियर डाक्टरों की ड्यूटी रहती है ओपीडी में।
01 मात्र कार्डियक एक्सपर्ट छोड़ चुके हैं एसआरएन।
100 वार्ड ब्वाय हैं केवल, 250 की है जरूरत।
4000 पंजीकरण पर्चे औसत कटते हैं प्रत्येक दिन।
300 स्टाफ नर्स संविदा मिलाकर कार्यरत हैं।
पंजीकरण काउंटर, एक अनार सौ बीमार
एसआरएन में पंजीकरण के महज पांच काउंटर हैं। जबकि प्रत्येक दिन इस अस्पताल में आने वाले मरीजों की तादाद तीन से चार हजार होती है। देर से पहुंचे मरीज व उसके तीमारदार को विंडो तक पहुंचने में एक घंटे लग जाते हैं। इतनी देर कतार में खड़े होने से लोगों पर मानसिक दबाव पड़ता है और डाक्टर के पास पहुंचने में देर भी हो जाती है।
जांच शुल्क के महज तीन काउंटर
स्वास्थ्य विभाग में अब अधिकांश इलाज जांच पर आधारित हो गए हैं। जांच के लिए शुल्क भी एसआरएन की ओपीडी वाली बिल्डिंग में जमा होते हैं। इसके लिए महज तीन काउंटर ही हैं जहां सैकड़ों मरीजों की लाइन लगती है।
1200 बेड का अस्पताल मगर नर्सें महज 300
स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय अब 1200 बेड का अस्पताल हो गया है। कोविड की दूसरी लहर के बाद इसमें बेड बड़ी तेजी से बढ़ाए गए। 1066 बेड तक आक्सीजन की पहुंच भी रखी गई है। बेड तो काफी अधिक बढ़ा दिए गए लेकिन संसाधनों में सबसे अहम नर्सों की तादाद जस की तस है। अस्पताल में केवल 300 स्टाफ नर्सें हैं। वार्ड ब्वाय भी केवल 100 रहने से बेड की नई व्यवस्था पर विपरीत प्रभाव पडऩा तय है।
प्राइवेट अस्पतालों में जाना मजबूरी
कहते हैं कि स्वरूपरानी नेहरू चिकित्सालय में जिले के सबसे काबिल डाक्टर बैठते हैं। फिर भी शहर के प्राइवेट नर्सिंग होम की हालत इस अस्पताल से अच्छी है। शायद इन अस्पतालों की व्यवस्था और वहां ज्यादा आराम देखकर ही मरीज एसआरएन का मोह त्यागते हैं। फिर वहां इलाज चाहे जितना ही महंगा क्यों न हो।
संसाधन कम हैं डाक्टर पर्याप्त
हमारे पास डाक्टरों की कमी नहीं है। चार डाक्टर और मिल रहे हैं। इनमें दो कार्डियक एक्सपर्ट भी हैं। इनकी तैनाती जल्द होगी। संसाधन कम जरूर हैं लेकिन व्यवस्था चुस्त दुरुस्त है। हमें एक प्लास्टिक सर्जन और एक नेफ्रो के स्पेशलिस्ट भी मिल रहे हैं।
- डा. एसपी सिंह, प्राचार्य मोतीलाल नेहरू मेडिकल कालेज