व्यवसायी थे परेशान तो प्रयागराज पुलिस ने क्यों नहीं दर्ज की थी रिपोर्ट, आत्महत्या का किया था प्रयास
पुलिस को दी गई तहरीर में नजर डाली जाए तो पता चलता है कि सिद्धार्थ काफी देर तक फांसी के फंदे से लटकता रहा लेकिन उसे बचा लिया गया। सिद्धार्थ की मां द्वारा दी गई तहरीर में कहा गया है कि सोमवार सुबह उसके पुत्र और बहू में विवाद हुआ।
प्रयागराज, जेएनएन। प्रयागराज शहर में कर्नलगंज थाना क्षेत्र के पुराना कटरा के रहने वाले एक व्यवसायी ने आत्महत्या की कोशिश की थी। इस मामले में पुलिस ने उसकी पत्नी समेत मायके वालों के खिलाफ कई धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की है। वहीं इससे पहले सिद्धार्थ द्वारा दी गई तहरीर पर एफआइआर क्यों नहीं लिखी गई थी, इस बारे में पुलिस चुप्पी साध गई है। जबकि मामला उस समय भी काफी गंभीर था।
व्यापारी ने कर्नलगंज थाने में तहरीर दी थी
व्यवसायी ने अपनी पत्नी पर पहली पत्नी से हुई दो बेटियों की पिटाई का आरोप लगाया था। यही नहीं पत्नी की मां पर भी यही आरोप लगाए गए थे। विरोध करने पर उल्टे दहेज उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज करा दिया था। इसके बाद सिद्धार्थ ने सपना का पहले हुए विवाह की बात छिपाकर दूसरी शादी कराने के संबंध में उसके माता-पिता व सपना के खिलाफ कर्नलगंज थाने में तहरीर दी थी, बावजूद पुलिस ने मामला दर्ज नहीं किया था। यह बात कोई और नहीं, बल्कि पुलिस को इस बार सिद्धार्थ की मां द्वारा दी गई तहरीर में भी कहा गया है। इसमें साफ तौर पर इसका जिक्र है कि सिद्धार्थ द्वारा जब तहरीर दी गई तो सपना की मां को इसकी जानकारी हो गई। उसने फर्जी मुकदमों में फंसाने की धमकी दी। साथ ही सपना के लिए शहर में एक मकान और 50 लाख रुपये की मांग करते हुए कहा कि इसके बाद ही छुटकारा मिलेगा।
काफी देर तक फंदे से लटकता रहा
पुलिस को दी गई तहरीर में नजर डाली जाए तो पता चलता है कि सिद्धार्थ काफी देर तक फांसी के फंदे से लटकता रहा लेकिन उसे बचा लिया गया। सिद्धार्थ की मां द्वारा दी गई तहरीर में कहा गया है कि सोमवार सुबह उसके पुत्र और बहू में विवाद हुआ था। बहू ने जान देने के लिए सिद्धार्थ को उकसाया। सिद्धार्थ दूसरी मंजिल पर बने कमरे में गया और दरवाजा बंद कर फांसी का फंदा बनाकर लटक गया। कुछ देर बाद पता चला कि सिद्धार्थ ने फांसी लगा ली है। सूचना मिलने पर नीचे दुकान में मौजूद सिद्धार्थ के पिता रामकृष्ण जायसवाल ने लोगों की मदद से खिड़की तोड़ी और फांसी के फंदे से बेटे को उतारकर क्षेत्र के एक निजी अस्पताल ले गए।
स्वजन एक से दूसरे अस्पताल दौड़ते रहे
यहां डॉक्टरों ने भर्ती करने से इंकार किया तो एसआरएन अस्पताल पहुंचे। यहां वेंटिलेटर नहीं होने पर उसे यहां से लेकर फिर एक निजी अस्पताल में पहुंचे और भर्ती कराया। इस पूरे घटनाक्रम को देखा जाए तो पता चलता है कि सिद्धार्थ काफी देर तक फांसी के फंदे से लटकता रहा। यही नहीं एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे अस्पताल तक स्वजन उसे लेकर दौड़ते रहे। फिलहाल सिद्धार्थ की हालत अब खतरे से बाहर बताई जाती है।