कब तक चलेगा यह डरावना दौर, कोरोना संकट में कारोबार सिमटा तो आंंखों में आंसू लिए घर लौट आए प्रवासी कामगार
कोरोना संक्रमण की चेन तोडऩे के लिए पाबंदियां बढ रही हैं ताकि लोगों की घर के बाहर गतिविधियां कम हों । एक-दूसरे के संपर्क में लोग नहीं आएंगे तो संक्रमण फैलने की संभावनाएं भी कम रहेंगी। ऐसे में घर से दूर रह रहे प्रवासियों के लौटने का दौर जारी है।
प्रयागराज, जेएनएन। पिछले सवा साल से कोरोना महामारी ने खासतौर से निचले वर्ग के कामगार प्रवासियों को रुला रखा है।पिछले साल महानगरों से लौटने के कुछ महीने बाद हालात सुधरने पर वे वापस गए तो फिर कोरोना ने फन काढ़ लिया। कुछ पैसे भी नहीं जोड़ सके थे कि अब उन्हें दोबारा घर वापसी करनी पड़ी है वो भी खाली जेब। महानगरों से प्रयागराज में रेलवे स्टेशन और बस अड्डे पर पहुंच रहे इन कामगारों के चेहरे पर निराशा और आंखों में आंसू दिखते हैं। कोरोना काल में बाजार पर भी असर पड़ा तो घर से दूर व्यवसाय कर रहे लोगों के लिए सामान समेट कर घर लौटना मजबूरी है। वजह यह कि महानगरों में रोजगार के लिहाज से हालात लगातार बिगड़ रहे हैं। ऐसे में लोगों को अपना घर व गांव याद आ रहा है। उनका कहना है कि बेहतर होगा कि कोरोना का संकट टलने तक वे घर-गांव में ही रहकर खराब समय गुजारें।
काम और कारोबार बंद होने से लौटना था मजबूरी
कोरोना संक्रमण की चेन तोडऩे के लिए सरकारें लगातार पाबंदियां बढ़ा रही हैं। ताकि लोगों की घर के बाहर गतिविधियां कम हों और हालात मेंं सुधार हो। एक-दूसरे के संपर्क में लोग नहीं आएंगे तो संक्रमण फैलने की संभावनाएं भी कम रहेंगी। ऐसे में घर से दूर रह रहे प्रवासियों के लौटने का दौर जारी है। चाकघाट के जीतलाल कपूरथला (पंजाब) मेंं सब्जी का कारोबार करते थे। उन्होंने बताया कि कोरोना की दूसरी लहर में कामकाज प्रभावित होने लगा। संक्रमण काल में सब्जी की मांग कम होने से सब्जियां खराब होने लगी। पहले तो हालात में सुधार की आस में वह इंतजार करते रहे। लेकिन लगातार सब्जी के कारोबार में नुकसान हो रहा था। खपत घटने से सब्जियां खराब हो रही थीं